
Makar Sankranti: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार जब भगवान सूर्य धनु राशि का भ्रमण पूरा करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस काल को मकर संक्रांति कहा जाता है. इसी दिन से सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं और दिन बड़े होने लगते हैं. यह मान्यता है कि इस दिन पवित्र जल में स्नान करने, पूजा-पाठ, यज्ञ और तिल, घी, गुड़ और खिचड़ी का दान-दक्षिणा देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
मकर संक्रांति माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे. मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है. महापुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक है.
तीन राशियों को होगा फायदा
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सबसे पहले पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इस योग का समापन सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर होगा. इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग है. ज्योतिषियों की मानें तो 19 साल बाद मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं इसलिए पुष्य नक्षत्र में काले तिल का दान करने से साधक को शनि की बाधा से मुक्ति मिलेगी.
मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे, जिसे शिववास योग कहा जाता है. इस शुभ अवसर पर किसी समय भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा कर सकते हैं. मकर संक्रांति तीन राशियों कर्क, तुला और मीन राशि के लिए काफी फलदायक होने जा रहा है. इस दिन से नई ऋतु और नई फसल का आगमन भी माना जाता है, जिसे अलग-अलग राज्यों में अलग नामों से मनाया जाता है.
सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से आते हैं मिलने
पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से मिलने आते हैं, जो मकर राशि के स्वामी हैं. यह त्योहार पिता और पुत्र के बीच एक स्वस्थ रिश्ते का प्रतीक है. मकर संक्रांति भगवान विष्णु की असुरों पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. मकर संक्रांति के दिन से खरमास खत्म होता है और शुभ व मांगलिक कार्यों जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि की शुरुआत होती है.
खगोलशास्त्र के अनुसार सूर्य का दो अयन पहला उतरायण और दूसरा दक्षिणायन है. एक वर्ष में 12 महीने होते हैं और सूर्य के दो अयन होने के कारण एक अयन की अवधि 6 महीने की होती है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उतरायण होते हैं और आगे 06 महिना तक सूर्य उतरायण ही रहते हैं. मान्यता यह है जब सूर्य उतरायण होते है तो देवताओं का दिन की शुरुआत माना जाता है.
मकर संक्रांति पर क्या करें
1. शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. यदि संभव न हो तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
2. इस दिन पीले वस्त्र पहनें क्योंकि इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
3. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
4. श्रद्धा अनुसार मंदिर या गरीबों में दान करना भी चाहिए.
5. मान्यता है कि इन कामों को करने से सूर्य देव की कृपा से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं.
किन-किन वस्तुओं का करें दान
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन अनाज का दान करने से हमेशा घर अन्न और धन के भंडार भरे रहते हैं. इसके साथ ही मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है. मकर संक्रांति के दिन गुड़ और खिचड़ी का दान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.
मकर संक्रांति पर काले तिल का दान करना भी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि तिल का दान करने से सूर्य देव और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. गरीब लोगों को गर्म वस्त्र का दान करें. इससे धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.