आज मासिक शिवरात्रि है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक भगवान भोले की पूजा-अर्चना करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है. चलिए जानते हैं कि इस पर्व का महत्व क्या है, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है.
नष्ट हो जाते हैं सारे पाप
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं. शिव पुराण के अनुसार जो भक्त श्रद्धाभाव से महादेव की भक्ति करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में सुख की प्राप्ति होती है और हर तरह के कर्जों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भक्तों को शिवालय में शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. अगर शिवालय नहीं जा सकते तो घर के पूर्व भाग में बैठकर शिव मंत्रों का जाप करें.
पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर 2.40 से शुरू होकर 7 मई सुबह 11:40 बजे तक है. भगवान शिव का मूल मंत्र- ॐ नमः शिवाय है. रूद्र मंत्र-ॐ नमो भगवते रुद्राय, रूद्र गायत्री मंत्र-ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्, महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात.
पूजन विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन भक्त सुबह उठकर स्नान आदि कर लें. स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव के मंदिर में जाएं. जल, दूध, शक़्कर, दही आदि से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें और धतूरा, बेलपत्र और श्रीफल चढ़ाएं. शिव को दीप,धुप,फूल और फल से पूजा करें. पूजा करते समय शिव पुराण,शिव चालीसा, शिव स्तुति का पाठ करें. इसके बाद माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी की पूजा-अर्चना करें. पूरे दिन उपवास रखें और संध्या के समय फलाहार करें.