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Mauni Amavasya 2023: कब है मौनी अमावस्या ? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

मौनी अमावस्या का शास्त्रों में विशेष महत्व है. मान्यता है इस दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है.

मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है (फाइल फोटो) मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का बताया गया है विशेष महत्‍व 

  • माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं

मौनी अमावस्या का इंतजार श्रद्धालु पूरे साल करते हैं. माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस दिन मौन रहकर किसी पवित्र नदी या जलकुंड में स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है इस दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. इस दिन लोग पिंडदान भी करते हैं. माघी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना अच्छा माना जाता है. आइए मौनी अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में जानते हैं.

मौनी अमावस्या की तिथि
मौनी अमावस्या तिथि की शुरुआत 21 जनवरी को सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर होगी. मौनी अमावस्या का समापन 22 जनवरी को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर होगा. मौनी अमावस्या 21 जनवरी को उदया तिथि में है. शुभ योग सुबह 6 बजकर 30 मिनट से सुबह 07 बजकर 14 मिनट तक है.

स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन सूर्योदय से पहले गंगा स्नान जरूर करें. बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 53 मिनट के बीच स्नान करना काफी शुभ होगा. स्नान के बाद आप किसी जरूरतमंद को कंबल, तिल या गुड़ का दान कर सकते हैं. इससे बहुत लाभ मिलेगा. पवित्र नदी में स्नान करते वक्त मन में ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: और उं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.

गंगा का जल अमृत के समान होता है
अमावस्या तिथि पितरों के लिए समर्पित होती है इसलिए जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, वो लोग इस दिन श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं. साथ ही शास्‍त्रों में कहा गया है कि माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर अदृश्‍य रूप से संगम में स्‍नान करते हैं. इसलिए प्रयागराज में इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं. मान्यता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत के समान होता है.

क्यों कहते हैं मौनी अमावस्या? 
शास्त्रों के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. साथ ही मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए इस दिन मौन रहकर स्नान और दान किया जाता है.