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Noor Aalam: रामलला के पड़ोसी नूर आलम से मिलिए, जिनकी जमीन पर होगा अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का सबसे बड़ा भंडारा

22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इसके लिए रामनगरी अयोध्या में खास तैयारी चल रही है. प्राण प्रतिष्ठा के दिन हजारों लोगों के लिए भंडारा भी किया जाएगा. इसके लिए जो जमीन चुनी गई है वो रामलला के पड़ोसी नूर आलम की है. नूर आलम ने खुशी-खुशी भंडारे के लिए अपनी जमीन दे दी और खुद को रामलला का पड़ोसी बताया.

Noor Aalam Noor Aalam

अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर से सटे नूर आलम की ज़मीन पर इन दिनों काम कर चल रहा. कारीगर एक तरफ रसोई के लिए कमरों का निर्माण कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ जमीन को समतल किया जा रहा है. यहां करीब 20 हजार लोगों का भंडारा रोज होगा जिसके लिए भोजन बनाने की व्यवस्था उनकी जमीन पर होगी. इसी की यहां तैयारी चल रही है. यहां रसोई और शौचालय के लिए रात-दिन निर्माण जारी है क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन शुरू होने से पहले अयोध्या में लोगों की संख्या बढ़ने लगेगी. इन लोगों को यहां पर भोजन कराने की व्यवस्था की जा रही है.

20 हजार लोगों का भंडारा
राम जन्मभूमि के परिसर के ठीक बगल में यूसुफ़ आरा मशीन है. इसके मालिक नूर आलम की यहां पैतृक जमीन है जिस पर उनका आरा मशीन का व्यवसाय चलता है. यहां नूर आलम अपने परिवार के साथ रहते भी हैं. लेकिन अभी यहां एक तरफ निर्माण कार्य शुरू हो गया है. दरअसल इसी जगह करीब 20 हज़ार लोगों के लिए भंडारा तैयार करने का काम होगा. खुद श्रीराम ट्रस्ट के पदाधिकारियों की देखरेख में ये जगह तय की गयी है और यहां भंडारे के लिए फैसला किया गया है. श्रीराम ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने ये जमीन तय कर नूर आलम को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है. नूर आलम रात खुद इस काम की देख रेख कर रहे हैं. नूर आलम इस काम को इतने उत्साह से कर रहे हैं कि यहां उनका परिवार मज़दूरों और इस व्यवस्था की देखरेख के लिए आने वालों के लिए चाय-नाश्ते का इंतजाम भी करने में जुटा है.

प्रभु श्रीराम के मेहमानों का खाना बनेगा इससे अच्छी क्या बात: नूर आलम
नूर आलम कहते हैं हमने सोचा कि जब कोई इंसान अगर रास्ता भटक जाता है और उसको रास्ता कोई बता देता है तो वो कितनी अच्छी बात है. तो यहां तो प्रभु श्रीराम के मेहमान आएंगे उनका भोजन बनेगा. चम्पत राय जी ने खुद इस जगह को डिसाइड किया है. खुद समय निकाल कर बताया है उनके कहने के हिसाब से ही यहां चीजें बन रही हैं. नूर आलम कहते हैं कि ये उनके लिए गर्व की बात है कि ये काम उनके यहां हो रहा है. आज प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री हमारे अयोध्या के लिए जो कर रहे हैं उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है. 

रामलला के पड़ोसी होने का फर्ज निभा रहे
दरअसल नूर आलम की ये जमीन उस जगह पर है जहां रामजन्मभूमि तक जाने वाली सड़क जाती हैं. ठीक बगल में जन्मभूमि परिसर की रेलिंग है. कभी ये हाई सिक्यरिटी ज़ोन था. यहां आस पास किसी को जाने की अनुमति नहीं थी. लेकिन अब प्राण प्रतिष्ठा समारोह और उसके बाद हज़ारों लाखों की संख्या के भक्त आएंगे. ऐसे में यहां पर भंडारा होने से रामभक्तों को सुविधा होगी. आधे से ज़्यादा ज़मीन में भंडारे का भोजन आदि की व्यवस्था से उनके काम पर इसका क्या असर होगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वो पड़ोसी होने का फ़र्ज निभा रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मैंने भंडारे के लिए अपनी जगह दी है. इस काम के लिए अपने व्यवसाय में बदलाव के लिए भी हम तैयार हैं हम लोग भगवान श्रीराम के पड़ोसी हैं. इस बात का गर्व है. पड़ोसी होने के नाते हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है.वो हम करते रहेंगे. '' 

कोई गलत कहता है कोई सही
हालांकि मुस्लिम समुदाय का होने की वजह से क्या उनके इस फैसले पर कुछ सवाल उनके समुदाय और दूसरे लोग भी उठाते हैं? इस सवाल पर बहुत संकोच करते हुए नूर आलम कहते हैं उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है. नूर आलम ने हमसे कहा कि आप पहले हैं जिसके सामने इस बात को लेकर मैं खड़ा हूं. हमारे यहां जितने धर्मगुरु रहे हैं उनके प्रति हमारी श्रद्धा है और हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है. हमने अगली पीढ़ी को भी यही समझाया है. मुक़दमा अपनी जगह था जो लोग लड़ रहे थे. मैंने जो भंडारे में लिए किया इसमें किसी को ग़लत लगता है तो हमें इससे कोई मतलब नहीं.'

अयोध्या का विकास देखकर ख़ुशी होती है
नूर आलम बदली हुई अयोध्या से खुश हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन के उन दिनों की याद आ जाती है जब कोई यहां आने से कतराता था. हर तरफ तनाव रहता था.' हम जब अयोध्या देखते हैं तो आंखों में आंसू आ जाते हैं. हमारी अयोध्या बदल रही है. मंदिर बनने से अयोध्या बदल रही है. अभी जितना विकास हुआ है वो हमने ख़्वाब में नहीं सोचा था. हम छोटे थे तब से अयोध्या में ये स्थिति देख रहे हैं. आज जिस तरह से अयोध्या बदली है उससे बहुत ज़्यादा ख़ुशी होती है. आंखों में आंसू आ जाते हैं. हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने अयोध्या के लिए जो किया है उसके लिए शब्द नहीं है. आज अयोध्या का विकास इतनी तेज़ी से हो रहा है जितनी तेज़ी से कभी हो नहीं सकता था.'

लेकिन क्या आपको पड़ोसी होने के नाते रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण आने की उम्मीद है ? ये पूछने पर नूर आलम कहते हैं, 'निमंत्रण मिले या नहीं मिले कोई बात नहीं. ये हम नहीं तय कर सकते हैं. हमें जब दर्शन करना होता है हम चले जाते हैं. निमंत्रण के लिए कोई बात नहीं क्योंकि  उसकी एक व्यवस्था है.' नूर आलम ने बताया कि उनके यहां 20 हज़ार लोगों के भंडारे के लिए भोजन बनेगा. उनके घर से मुख्य सड़क तक भोजन बंटेगा. निर्देश के अनुसार 18 तारीख से भंडारा शुरू होगा. नूर आलम खुश हैं. कहते हैं 'हम लोग रामलला के पड़ोसी है उसकी ज़िम्मेदारी हम निभाते रहेंगे...'