Mokshada Ekadashi 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की 11वीं तिथि, एकादशी के नाम से जानी जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है. हर महीने में दो एकादशी होती हैं और दोनों अपने-अपने मायने में ख़ास होते हैं. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर को पड़ रही है. आइए जानते हैं इसकी तिथि और शुभ मुर्हूत के बारे में
13 दिसंबर की रात 9 बजकर 32 मिनट से शुरू हो जाएगी तिथि
ज्योतिष की मानें तो इस बार मोक्षदा एकादशी की तिथि 13 दिसंबर (Mokshada Ekadashi 2021 Date) यानी सोमवार की रात 9 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है, और अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में 14 दिसंबर को सूर्योदय होने के कारण इसका उपवास मंगलवार के दिन रखा जाएगा. इसकी पूजा सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद ही की जाती है. इस उपवास के पारण का शुभ द्वादशी के दिन लोग करेंगें. इसका शुभ मुर्हूत 14 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 5 मिनट से 15 दिसंबर के सुबह 9 बजकर 9 मिनट के बीच का है.
व्रतियों को उपवास के पहले दिन एक ही समय भोजन करने की दी जाती है सलाह
मोक्षदा एकादशी के पहले दिन व्रतियों को एक समय ही खाना चाहिए. दशमी तिथि की रात में भोजन नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर कर उन्हें भगवान के सामने इस उपवास का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के आगे दीप, धूप और नैवेद्य आदि अर्पित कर विधि-विधान से पूजा की जाती है. दिनभर भगवान की अराधना, करनी चाहिए. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को उपवास का पारण होता है. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है.
आखिर हिंदुओं के लिए एकादशी क्यों हैं ख़ास
एकादशी के दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं. हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और इंसान को अपने पापों से छुटकारा मिल जाता है. माना जाता है कि पूरी आस्था के साथ अगर एकादशी का व्रत किया जाए, तो पूर्वजों को मोक्ष मिलता है. यह उपवास दशमी के सूर्यास्त के बाद से शुरू होकर द्वादशी के दिन हरि वासर के बाद खत्म होता है.