सावन का महीना अपने साथ भक्तिभाव लेकर आता है. इन महीने में शिव भक्त भक्ति में लीन हो रहे हैं. मंदिरों में जबरदस्त तैयारियां हो चुकी हैं. खासकर कि शिव मंदिरों की शोभा देखते ही बनती है. अगर आप सावन के महीने में किसी शिव मंदिर जाना चाहते हैं तो मुंबई स्थित अंबरनाथ मंदिर जरूर जाएं. यह करीब एक हजार साल पुराना प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर को इच्छापूर्ति मंदिर भी कहा जाता है.
ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने एक ही रात में इस मंदिर की स्थापना की थी. महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर है और यहां पर स्थित है यह अंबरनाथ शिव मंदिर. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर को अंबरेश्वर नाम से भी जाना जाता है.
पांडवों ने की थी मंदिर की स्थापना
मंदिर में मिले शिलालेख (शिव मूर्ति) के अनुसार मंदिर का निर्माण 1060 में राजा मांबाणि ने करवाया था. इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है. ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने एक ही रात में इस मंदिर की स्थापना की थी. अंबरनाथ शिव मंदिर के पास कई ऐसे नैसर्गिक चमत्कार हैं, जिससे इसकी मान्यता बढ़ती ही जा रही है.
यह मंदिर अपने अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ. मंदिर के बाहर दो नंदी बैल बैठे हुए हैं. मंदिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार हैं. मंदिर के भीतर प्रवेश करते हुए 9 सीढ़ियों के उतरने के बाद शिवलिंग के दर्शन होते हैं. मुख्य शिवलिंग त्रैमस्ति की है और इनके घुटने पर एक नारी है, जो शिव-पार्वती के रूप को दर्शाती है. एकाएक देखने पर लगता है कि शिव नृत्य मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं.
कल्चरल हेरिटेज है यह मंदिर
अंबरनाथ मंदिर के गर्भगृह के पास गर्म पानी का एक कुंड भी है. कहा जाता है कि मंदिर के पास एक गुफा भी है जिसका रास्ता पंचवटी तक जाता है. खास बात है कि यूनेस्को ने अंबरनाथ शिव मंदिर को सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है. मंदिर से सटकर वलधान नामक नदी बहती है और तट के आस पास आम और इमली के पेड़ हैं. मंदिर की बाहर की दीवारों पर भगवान शिव के अनेक रूप बने हुए हैं. इसके साथ ही गणेश, कार्तिकेय, चंडिका आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां से सारा परिसर सजा हुआ है. यहां साथ में एक छोटा सा मंदिर और है जिसमें देवी दुर्गा असुरों का नाश करते हुए दिख रही हैं.
मंदिर के अंदर और बाहर कम से कम ब्रह्मदेव की 8 मुर्तियां बनी हुई हैं. इन चीजों को देखने के बाद पता चलता है कि यहां ब्रह्मदेव की उपासना भी की जाती होगी. शिवरात्रि के मौके पर मंदिर के बाहर 3-4 दिनों तक मेला भी लगता है और प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के लिये भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.
(धर्मेंद्र दूबे की रिपोर्ट)