
प्रयाग में लगे आस्था के संगम में एक ऐसा शख्स महाकुंभ के लिए निकला है, जिसने अपना पूरा सफर स्टूकी पर तय करने का फैसला लिया हुआ है. उनका कहना है कि उनके दिल में इस संगम में जाने बहुत ज्यादा इच्छा थी. लेकिन जिस तरह उनके मन में इच्छा है, उसी प्रकार करोड़ों लोगों के मन में भी है. तो उनके टिकट नहीं मिल पाया. जिसके बाद उन्होंने स्कूटी उठाई और निकल पड़े यात्रा पर.
कौन है ये शख्स
ये शख्स मुंबई का रहने वाला है. और मुबंई से ही अपनी स्कूटी पर जा रहा है. स्कूटी से आने की उनकी वजह भी अजीबोगरीब है. शख्स का कहना है कि मन मे ठाना था कि महाकुंभ में संगम स्नान तो करना ही है. लेकिन पता चला कि ना तो ट्रेन का टिकट मिल रहा था और ना ही फ्लाइट का. साथ ही बताया कि जिस फ्लाइट का मिल भी रहा था, तो वह बहुत ही महंगा था.
बस फिर क्या था शख्स अकेले ही अपनी स्कूटी में अपना सामान पैक कर निकल लिया आस्था की यात्रा पर. वह बताते हैं कि वह 26 जनवरी को गूगल मैप के सहारे घर से निकल पड़े थे, वो भी बिना किसी को बताए. मजे की बात यह है कि उन्होंने स्कूटी के पीछे लिखवाया भी है, मुम्बई टू महाकुंभ. जिससे उसको कोई परेशान ना कर सके.
क्यों है उनकी यात्रा और भी खास
आस्था का सफर स्कूटी पर अकेले तय कर रहे गौरव सूर्यकांत राणे बताते हैं कि वे बीती 26 जनवरी को घर से प्रयाग महाकुंभ के लिए निकले हैं. इस दौरान वह कई जगह स्टॉप लेते हुए निकल रहे हैं. उनके स्टॉप में त्रयम्ब्गेश्वर, ओंकारेश्वर, मामलेश्वर फिर उज्जैन महाकाल फिर काल भैरव महाराज, फिर झांसी, झांसी से ओरचा गांव, फिर चित्रकूट और चित्रकूट से महागुट जैसी जगह शामिल हैं.
गौरव बताते हैं कि उनका उद्देश्य महाकुंभ वसंत पंचमी के दिन पहुंचने का है. साथ ही वह केवल दिन में सफर करते हैं. और रात होते ही उनकी निगाहें किसी होटल या धर्मशाला की तलाश करती हैं ताकि वह आराम कर सकें. वह अभी तक करीब 1400-1500 किलोमीटर तक का सफर तय कर चुके हैं.
वह बताते हैं कि वह इस सफर में घूमते-घूमते छह सात ज्योतिर्लिंगों से भी होते हुए जाएंगे. स्कूटी से सफर तय करने के खर्च के सवाल पर उनका कहना है कि बेशक खर्च ज्यादा आएगा, लेकिन ऐसा अनुभव करने का मौका बहुत मुश्किल में उन्हें कभी दोबारा मिल पाएगा.
-सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट