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इस गुफा में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान बिताया था समय... श्रीकृष्ण भी ग्वाला बन मिलने आते थे

अखनूर की गुफा में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान समय बिताया था. यहां श्रीकृष्ण भी ग्वाला बनकर उनसे मिलने आते थे. गुफा में आज भी श्रीकृष्ण के पदचिन्ह अंकित हैं. यह गुफा अपने अतीत में 5000 साल से पहेलियों को समेटे हुए है. श्रीकृष्ण के कदमों की छाप आज भी गुफा में देखी जा सकती है.

Mahabharata Pandavas Akhnoor Mahabharata Pandavas Akhnoor
हाइलाइट्स
  • अखनूर की गुफा में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान समय बिताया था

  • श्रीकृष्ण ग्वाला बनकर पांडवों से मिलने आते थे

अखनूर की गुफा, जो जम्मू के अखनूर क्षेत्र में स्थित है, महाभारत काल की एक महत्वपूर्ण धरोहर मानी जाती है. मान्यता है कि इस गुफा में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का एक वर्ष बिताया था. यह गुफा पांडवों के अज्ञातवास की गवाह है, जहां उन्होंने भेष बदलकर समय बिताया था.

कहते हैं कि इस गुफा में श्रीकृष्ण ग्वाला बनकर पांडवों से मिलने आते थे. गुफा में आज भी श्रीकृष्ण के पदचिन्ह अंकित हैं. यह गुफा अपने अतीत में 5000 साल से पहेलियों को समेटे हुए है. श्रीकृष्ण के कदमों की छाप आज भी गुफा में देखी जा सकती है.

पांडवों का अज्ञातवास
महाभारत की कथा के अनुसार, पांडवों ने 12 साल का वनवास पूरा करने के बाद एक साल का अज्ञातवास बिताया था. इस दौरान उन्हें अपनी पहचान छुपाकर रहना था. अखनूर की गुफा में पांडवों ने भेष बदलकर समय बिताया था. युधिष्ठिर का नाम कंक था, भीम बल्लभ नामक रसोइया बने थे, अर्जुन वृहनिला बनकर नृत्य संगीत की शिक्षा देते थे, नकुल ग्रंथक नाम धरकर अस्तबल संभालते थे, और सहदेव तंतीपाल बनकर गौशाला में गौ माता की सेवा करते थे.

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शिवलिंग और हनुमान जी की प्रतिमा
गुफा में पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग और हनुमान जी की प्रतिमा भी है. मान्यता है कि पांडव जहां भी गए, वहाँ शिवलिंग स्थापित करके उसकी उपासना करते थे. गुफा में हनुमान जी की प्रतिमा भी है, जिसे महाबली भीम ने स्थापित किया था. भीम महाराज विराट के दरबार में रसोइया का कार्य करते थे और यहां हनुमान जी की पूजा अर्चना करते थे.

दुर्योधन की चालें
महाभारत की कथा कहती है कि दुर्योधन ने पांडवों के पीछे अपने गुप्तचर छोड़े हुए थे ताकि जैसे ही अज्ञातवास भंग हो जाए, पांडवों को फिर से 12 साल का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास दिया जा सके. पांडवों के लिए अज्ञातवास की सबसे प्रमुख शर्त यही थी कि वे किसी भी तरीके से अपनी पहचान उजागर नहीं कर सकते थे.

श्रीकृष्ण का सहयोग
श्रीकृष्ण ने पांडवों पर आने वाली हर विपत्ति का निवारण किया. गुफा में श्रीकृष्ण के पदचिन्ह इस बात का प्रमाण हैं कि वे पांडवों से मिलने के लिए विराट नगरी आया करते थे. श्रीकृष्ण ग्वाला बनकर पांडवों से मिलने आते थे और उनका हालचाल पूछते थे.

अखनूर की गुफा महाभारत काल की एक महत्वपूर्ण धरोहर है, जो पांडवों के अज्ञातवास की कहानी को जीवंत करती है. यहां की गुफा, शिवलिंग, और हनुमान जी की प्रतिमा इस बात का प्रमाण हैं कि पांडवों ने यहां समय बिताया था.