नागों की पूजा से पहले जरूरी है भगवान शिव की उपासना क्योंकि नाग शिव का आभूषण हैं और नागों का पौराणिक महत्व भी है. आज हम आपको नागपंचमी की महिमा, पूजन विधि और नागपंचमी के महाउपाय बताएंगे.
महादेव की उपासना के महीने में उनके प्रिय आभूषण यानि नागों की उपासना का भी विधान है. कहते हैं नागपंचमी के दिन महादेव संग नागों की उपासना से जीवन के सभी दोष-पापों का नाश हो जाता है. इस बार की नाग पंचमी कई शुभ संयोग साथ लेकर आई है जिससे शुभ मुहूर्त में पूजा करके आप पा सकते हैं भगवान शंकर के साथ सात नाग देव का वरदान.
नागपंचमी का शुभ मुहूर्त
नागपंचमी इस बार 02 अगस्त मंगलवार को मनाई जाएगी. सुबह 5.14 बजे से शुरू होकर पंचमी की तिथि अगले दिन 03 अगस्त सुबह 5.42 तक पंचमी तिथि रहेगी.
नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5.14 बजे से सुबह 8.24 बजे तक ही रहेगा.पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 41 मिनट का रहेगा. नागपंचमी पर मंगलवार के दिन संजीवनी योग बन रहा है. इस दिन रवियोग और सिद्ध योग भी रहने वाला है.
नागों का पौराणिक महत्व
भगवान शिव के गले में हमेशा आपने सर्पों का हार देखा होगा. शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी है. क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर भगवान विष्णु सोते हैं. कृष्ण जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेवजी ने यमुना पार की थी. समुद्र-मंथन के समय देवताओं की मदद भी वासुकी नाग ने ही की थी इसलिए नाग देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है. नागपंचमी बड़ा ही पावन दिन है इसलिए इस दिन की जाने वाली पूजा उपासना जीवन में खुशियां लाती है.
क्या है नागपंचमी का महत्व
- श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को नागों की पूजा का पर्व नागपंचमी मनाया जाता है.
- इस तिथि को भगवान शिव के आभूषण नागों की पूजा की जाती है.
- नागों की पूजा करके आध्यात्मिक शक्ति , सिद्धियां और अपार धन की प्राप्ति की जा सकती है.
- कुंडली में राहु केतु की स्थिति ठीक न हो तो भी इस दिन विशेष पूजा से लाभ पाया जा सकता है.
- सर्प के स्वप्न आते हों या सर्प से भय होता हो तो भी इस दिन नागों की पूजा विशेष अनुकूल होती है.
माना जाता है कि भगवान शिव की कृपा और नागों से आशीर्वाद मिल जाए तो यकीनन जीवन की तमाम बाधाएं दूर हो सकती हैं. लेकिन एक बात का खास ध्यान रखने की जरूरत है कि बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा न करें ,नागों की पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हों , उन्हें इस दिन न तो भूमि खोदनी चाहिए और न ही साग काटना चाहिए.
नागपंचमी की पूजा में सावधानियों और नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी है. अगर सही नियम से नागपंचमी की पूजा की जाए तो जीवन में परेशानियां नहीं आती हैं और राहु-केतु के दोष भी शांत हो जाते हैं. कहते हैं कि सावन महीने में बारिश के कारण सांपों का बिल पानी से भर जाता है और वो सुरक्षित स्थान की तलाश में बाहर भटकते रहते हैं. ऐसे में महादेव के इस प्रिय आभूषण की सुरक्षा के लिए नागपंचमी पर्व की परंपरा शुरू की गई.
नागपंचमी पर पूजन करते समय, कौन से नागों के नाम का उच्चारण करना शुभ होता है.
नागपूजन करते समय 12 नागों का नाम लेना उत्तम होता है.पहला धृतराष्ट्र, दूसरा कर्कोटक, तीसरा अश्वतर, चौथा शंखपाल,पांचवां पद्म, छठा कम्बल, सातवां अनंत, आठवां शेष, नौवां वासुकी,दसवां पिंगल, ग्यारहवां तक्षक और बारहवां कालिया. इन नामों के उच्चारण के बाद इनसे अपने परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना करें.नागपंचमी आस्था का एक ऐसा पर्व है जब सारे पाप- अभिशाप शिव जी की कृपा से नष्ट हो जाते हैं. साथ ही अगर आपको नागों से डर भी लगता है तो इस दिन एक खास उपाय से आपकी ये समस्या भी खत्म हो सकती है. लेकिन अगर किसी भी इंसान को सांपों से बहुत ज्यादा भय लगता हो या किसी के भी सपनों में बहुत ज्यादा सपने सापों के आते हों तो इसके लिए
- चांदी के दो सर्प बनवाएं साथ में एक स्वस्तिक बनवाएं
- एक थाल में रखकर नागों की पूजा करें और एक थाल में स्वस्तिक की
- नागों को कच्चा दूध और स्वस्तिक को बेलपत्र अर्पित करें
- "ॐ नागेन्द्रहाराय नमः" का जाप करें
- नागों को शिव लिंग पर अर्पित करें और स्वस्तिक को गले में धारण कर लें
कुंडली में विषयोग हो तो
- शिव जी के ऐसे मंदिर में जाएं जिसमे शिवलिंग पर सर्प का छत्र हो
- शिवलिंग पर पंचामृत ऐसे अर्पित करें कि वो नाग पर होता हुआ शिवलिंग पर आये
- इसके बाद गंगाजल की धारा अर्पित करते जाएँ
- इस समय शिव तांडव स्तोत्र या "ॐ नमो नीलकंठाय" का जाप करते जाएँ
- इन सभी दुष्ट योगों का प्रभाव समाप्त हो जाएगा
नागपंचमी पर क्या रखें सावधानी ?
नागपूजा में हल्दी का उपयोग जरूर करें
पूजा के बाद मिठाई का भोग नेग देव को लगाएं
नागपंचमी पर जमीन की खुदाई अशुभ मानी जाती है
नागपंचमी के दिन किसान खेतों में हल नहीं चलाते हैं
तो आप भी नागपंचमी के दिव्य पर्व की तैयारी पूरी कर लीजिए क्योंकि मनोकामना पूर्ति का ऐसा अचूक और शुभ संयोग बार-बार नहीं बनता. इस साल नाग पंचमी के दिन मंगला गौरी व्रत का संयोग बन रहा है. यह व्रत माता पार्वती को समर्पित माना गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. भगवान शंकर की कृपा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.