scorecardresearch

Ramtek Ram Mandir: वनवास के दौरान इस पहाड़ी पर रुके थे श्रीराम, अब भव्य मंदिर के दर्शन करने आते है लोग

महाराष्ट्र में रामटेक नगरी की पहाड़ी बहुत ज्यादा मशहूर है क्योंकि यहां पर श्रीराम जी का प्राचीन मंदिर है. मान्यता है कि वनवास के दौरान रामजी, मां सीता और लक्ष्मण जी यहां पर रूके थे.

Ramtek Ram Mandir Ramtek Ram Mandir
हाइलाइट्स
  • मंदिर में है अगत्स्य ऋषि का आश्रम

  • 300 साल पहले हुआ मंदिर का पुनर्निमाण

नागपूर से 60 किलोमीटर दूर रामटेक नगरी की पहाड़ी की विशेष मान्यता है. लोगों का मानना है कि प्रभू श्रीरामजी अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ इस पहाडी पर लगभग चार महीने तक ठहरे थे. रामटेक शहर की पहाड़ी पर जमीन से हजार फीट ऊंचे पहाड़ों पर प्रभू श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण का मंदिर है.

यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा राम जी के दर्शन से पहले उनके भाई लक्ष्मण जी का मंदिर है. लक्ष्मण जी के मंदिर मे दर्शन के बाद प्रभू श्रीराम और सीता के दर्शन होते है. यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा मंदिर के प्रवेशद्वार पर वानरों की सेना भक्तों का स्वागत करती है. भक्त भी वानरों को प्रसाद खिलाते है.

मंदिर में है अगत्स्य ऋषि का आश्रम
मंदिर में प्रवेश करने के बाद सब से पहले भगवान लक्ष्मण का मंदिर दिखाई देता है. जिसके ठीक पीछे प्रभू श्रीराम और सीता मां का मंदिर है. मंदिर मे अगत्स्य ऋषि का आश्रम भी है. इसी पहाड़ी पर प्रभू श्रीराम को अगत्स्य ऋषि मिले थे. ऐसी मान्यता है कि वनवास के समय रामजी यहां आये थे. उस समय इस भूमि को तपोगिरी पर्वत कहते थे. 

इस पहाड़ी पर ऋषि-मुनि तपस्या करते थे. उस समय मायावी राक्षस ऋषि-मुनि की तपस्या भंग करते थे. भगवान राम के यहां आने पर मुनियों ने उन्हें राक्षसों के अत्याचार के बारे में बताया. उसी समय प्रभू श्रीराम ने राक्षसों का वध करने का प्रण लिया था. इस मंदिर को संकल्प सिद्धि का स्थान भी माना गया है.

300 साल पहले हुआ मंदिर का पुनर्निमाण
रामटेक स्थित प्रभू श्रीराम जी का यह मंदिर करीब 1500 साल पुराना है. करीब 300 साल पहले नागपूर के राजा रघुजी राजे भोसले ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था. यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो सैकड़ों वर्षों पुराने हैं और उन्हीं में से एक है भगवान श्रीरामजी का यह मंदिर. मंदिर मे प्रभू श्रीराम जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यह मंदिर सिर्फ़ पत्थरों से बना है, जो एक-दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं.

पहाड़ी पर बसे इस मंदिर से रामटेक नगरी का सुंदर नजारा भी देखने मिलता है. एक छोटी पहाड़ी पर बने रामटेक मंदिर को गढ़ मंदिर भी कहा जाता है. यह देखने में मंदिर कम किला ज्यादा लगता है.

कभी कम नहीं होता है पानी 
विशेष बात है कि इस मंदिर के पूर्व दिशा की ओर सुरनदी बहती है. रामटेक के इस राम मंदिर का पुनर्निर्माण राजा रघुजी राजे भोसले ने एक क़िले के रूप में करवाया था. मंदिर के परिसर में एक तालाब भी है, जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में पानी कभी कम या ज़्यादा नहीं होगा. हमेशा सामान्य जल स्तर होने की वजह से लोग काफ़ी हैरान होते हैं. 

इस भूमि पर ऋषि अगत्स्य मुनी ने न सिर्फ़ भगवान श्रीराम को शस्त्रों का ज्ञान दिया था बल्कि उन्हें ब्रह्मास्त्र भी दिया था. जिसे श्रीराम जी ने असुरी शक्ति का नाश करने मे इस्तेमाल किया था. उनके दिए गए ब्रह्मास्त्र के ज़रिए ही भगवान राम ने रावण का वध किया था. रामटेक की भूमि को रामगिरि भी कहा जाता है, हालांकि कालांतर में इसका नाम रामटेक हो गया. वहीं त्रेता युग में रामटेक में सिर्फ़ एक पहाड़ हुआ करता था. आज के दौर में यह मंदिर भगवान राम के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.

(योगेश पांडे की रिपोर्ट)