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Navratri 2022: नवरात्र में कन्या पूजन तो ठीक है लेकिन कन्याओं के साथ क्यों होते हैं दो बालक...क्या आपने कभी सोचा है?

नवरात्रि में कन्या पूजन में दो से दस वर्ष की कन्याओं की पूजा करके उन्हें भोजन कराया जाता है. इसके साथ ही पूजा में दो बालकों को भी भोजन कराने का विधान है क्या है इसके पीछे की मान्यता जानिए.

कन्या पूजन कन्या पूजन
हाइलाइट्स
  • घर में आती है सुख-समृद्धि

  • कन्या की उम्र 2 से 10 साल के बीच होनी चाहिए

हिंदुओं के हर तीज त्योहार में आस्था का बड़ा मेला देखने को मिलता है. इस समय पूरे देश में नवरात्रि की धूम है. पश्चिम बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं. नवरात्रि में जितना महत्व श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने का है उतना ही कन्या पूजन का भी है. कुछ लोग अष्टमी वाले दिन कन्या पूजन करते हैं तो कुछ नवमी को. कन्या पूजन में छोटी-छोटी बच्चियों को घर बुलाकर उनके पैर धोकर मां की पसंद का खाना खिलाया जाता है.

क्यों होते हैं बालक?
देवी पूजा में कन्याओं को तो देवी के रूप में पूजा जाता है लेकिन बालक क्यों पूजे जाते हैं? चलिए इसके पीछे कन्या पूजन में दो बालकों को भी पूजा जाता है. इसके पीछे की कहानी ये है कि बालकों को भगवान गणेश और भैरव बाबा का रूप माना जाता है. माना जाता है कि क्योंकि गणेश भगवान के बिना कोई पूजा पूरी नहीं होती इसलिए एक लड़का भगवान गणेश और दूसरे को भैरव बाबा माना गया है. भैरव बाबा को माता रानी का पहरेदार माना जताा है. देवी पूजा इनके बिनी अधूरी मानी जाती है. आज आपको इसकी मान्यता और महत्व के बारे में बताएंगे.

घर में आती है सुख-समृद्धि
देवी के नौ रूपों का ध्यान करके 9 कन्या और दो लंगूर को बुलाया जाता है. कन्या पूजन से दुख -दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख समृद्धि आती है. कन्या पूजन पष्ठी, सप्तमी, अष्टमी या नवमी में से किसी भी दिन किया जा सकता है. पूजा में बुलाई जाने वाली कन्या की उम्र 2 से 10 साल के बीच होनी चाहिए. कन्या के पैर धोकर उन्हें साफ स्थान पर बैठाएं और माथे पर कुमकुम का तिलक लगाकर चुनरी उढ़ाएं. आरती उतारने के बाद उन्हें भोजन कराएं. कन्याओं को हलवा-पूड़ी और चने का भोग लगाया जाता है. इसके साथ ही आप उनकी पसंद के अनुसार खीर, मिठाई और फल का भोग भी लगा सकते हैं. इसके बाद उनके पैर छूकर आशर्वाद लें और दक्षिणा देकर विदा करें.