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Navratri 2022 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन होगी देवी चंद्रघंटा की पूजा, भक्तों के सभी दुख दूर करती हैं मां

Navratri 2022 Day 3: नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों को समर्पित होते हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा भक्तजन करते हैं. मां चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों के दुख दूर होते हैं.

Maa Chandraghanta (Photo: https://maavaishno.org/) Maa Chandraghanta (Photo: https://maavaishno.org/)
हाइलाइट्स
  • मां चंद्रघंटा, देवी पार्वती का तीसरा रूप है

  • मां चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं

नौ दिनों तक चलने वाला शुभ त्योहार नवरात्रि पूरे देश में बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है. इस हिंदू त्योहार में नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा करते हैं. 

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं. उन्हें मां चंद्रघंटा के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह अपने माथे को आधे चंद्रमा से सजाती हैं जो घंटी की तरह दिखता है. 

कौन हैं मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा, देवी पार्वती का तीसरा रूप है. मान्यता है कि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह के बाद अपने माथे पर अर्धचंद्रमा सजाने लगीं. इसके बाद उन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाले लगा. 

मां चंद्रघंटा का वाहन बाघिन हैं. और उनके चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल और उनके चार दाहिने हाथों में कमल, तीर, धनुष और जप माला होती है. ऐसा कहा जाता है कि उनका पांचवां बायां हाथ वरद मुद्रा में है, और उनका पांचवां दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है.

नवरात्रि 2022 के तीसरे दिन का महत्व
मां चंद्रघंटा देवी का शांत स्वरूप है. मां चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. कहते हैं कि मां चंद्रघंटा के माथे की चंद्र घंटी जब बजती है तो भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं. 

नवरात्रि 2022 के तीसरे दिन की पूजा विधि
इस दिन केसर (केसर), गंगा जल (पवित्र जल) और केवड़ा (पुष्प जल) में देवी चंद्रघंटा की मूर्ति को स्नान कराएं और मूर्ति को लकड़ी की मेज पर रखें. इसके बाद उन्हें सुनहरे रंग के वस्त्र पहनाएं और उन्हें पीले फूल, कमल, मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें. भोग के लिए आप मां को दूध और मखाने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं.

मां चंद्रघंटा के पूजा मंत्र

  • ओम देवी चंद्रघंटायै नमः
  • या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।