चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 2 अप्रैल से हुई थी और 11 अप्रैल को नवमी मनाई जाएगी. नवरात्रि के छठे दिन माता के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से मनचाहा और सुयोग्य वर मिलता है.
मां कात्यायनी की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कष्टों का नाश होता है.
मां कात्यायनी की कथा:
पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि देवी कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के आश्रम में हुआ था. कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया था. उनके तप से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनके घर जन्म लिया.
बात अगर मां कात्यायनी के स्वरूप की करें तो माता की चारो भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र और कमल का फूल सुशोभित हैं. मां कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहते हैं.
मां कात्यायनी की पूजा विधि:
नवरात्रि के छठे दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नानिद करके स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद लकड़ी की चौकी लें और इस पर लाल कपड़ा बिछाएं. अब इस पर मां कात्यायनी की मूर्ति स्थापित करें. मां को रोली का तिलक करें.
फिर मंत्रों का जाप करें और देवी को फूल अर्पित करें. घी का दीप जलाएं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करके दुर्गा चालीसा का पाठ करें. अंत में आरती करें और फिर शहद का भोग लगाएं. आखिर में प्रसाद सभी लोगों में बांट दें.
मां कात्यायनी के पूजामंत्र
1. ओम देवी कात्यायन्यै नम:
2. चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्जलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी।।
3. या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायानी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में मान्यता है कि कात्ययानी देवी की उपासना से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है. और रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं. अगर किसी के विवाह में अड़चन आ रही है तो मां कात्यायनी के आशीर्वाद से सभी बाधा हट जाती हैं.
माता को पीला रंग अत्यंत प्रिय है. इसलिए इस दिन पीले वस्त्र धारण करके माता की पूजा करें.