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Navratri 2023: कहीं गरबा और डांडिया तो कहीं पुराणों के महाकाव्य का होता है नाटक, भारत के अलग-अलग हिस्सों में कुछ ऐसे मनाई जाती है नवरात्रि

Navratri 2023: भारत के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. गुजरात में जहां गरबा और डांडिया के बगैर ये पर्व अधूरा होता है तो वहीं दक्षिण भारत में पुराणों के महाकाव्य का नाटक होता है जिसे सब बैठकर देखते हैं.

Chaitra Navratri 2023 Chaitra Navratri 2023
हाइलाइट्स
  • पश्चिमी भारत में गरबा और डांडिया के बगैर अधूरा है पर्व 

  • पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं नवरात्रि  

भारत में चैत्र नवरात्रि का अलग महत्व है. इस बार 22 मार्च से ये पावन पर्व शुरू होने वाला है. नौ दिन तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होंगे और 30 मार्च को रामनवमी का त्योहार मनाया जाएगा. हालांकि, भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस पर्व को मनाने का अलग तरीका है. देश के हर हिस्से में पर्व को मनाने की अपनी अलग परंपरा है.

उत्तर भारत में मनाई जाती है ऐसे नवरात्रि 

बताते चलें, उत्तर भारत में, नवरात्रि को लंकापति रावण पर भगवान राम की जीत के रूप में मनाया जाता है. इसका समापन रामलीला के उत्सव के रूप में होता है. इसे औपचारिक रूप में दशहरे के रूप में मनाया जाता है. 'विजयादशमी' के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए रावण, कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं. नवरात्रि के ये नौ दिन विशेष पूजा, यज्ञ, होम, उपवास, ध्यान, मौन, गायन और नृत्य से भरे हुए होते हैं. इसमें सभी लोग देवी मां के सभी रूपों की पूजा करते हैं. अष्टमी और नवमी के दिन उत्तर भारत में कन्या पूजा का रिवाज है. आठवें और नौवें दिन छोटी बच्चियों को बुलाया जाता है और उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. 

पश्चिमी भारत में गरबा और डांडिया के बगैर अधूरा है पर्व 

उत्तर भारत से अलग पश्चिमी भारत में नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से गुजरात में, गरबा और डांडिया- डांस के साथ मनाया जाता है. बता दें, गरबा डांस में महिलाएं दीये वाले बर्तन के चारों ओर डांस करती हैं. 'गरबा' या 'गर्भा' शब्द का अर्थ है गर्भ, और इस संदर्भ में बर्तन में दीपक, प्रतीकात्मक रूप से गर्भ के भीतर जीवन का प्रतिनिधित्व करता है. गरबा के अलावा डांडिया डांस में पुरुष और महिलाएं छोटे, सजे हुए बांस के छोटे डंडे, जिन्हें डांडिया कहा जाता है से खेलते हैं. इन डांडियों के आखिर में छोटी-छोटी घंटियां बंधी होती हैं जिन्हें घुंघरू कहा जाता है. ये जब एक दूसरे से टकराती हैं तो झनझनाहट की आवाज आती है. 

गुजरात में, दस दिनों के लिए, शाम को नौ बजे से सुबह चार बजे तक, हर दिन गरबा खेला जाता है. इसमें पुरुष, महिलाएं और यहां तक ​​कि बच्चे भी शामिल होते हैं. हालांकि, गुजरात के हर शहर की डांडिया या गरबा खेलने की अपनी शैली अलग अलग होती है.

पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं नवरात्रि  

शरद नवरात्रि के आखिरी पांच दिन पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा के रूप में मनाए जाते हैं. इसमें देवी दुर्गा हाथ में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र लिए सिंह पर सवार दिखाई जाती है, इसी रूप  की पूजा इस दौरान की जाती है. इसमें शेर धर्म, इच्छा शक्ति का प्रतीक है, जबकि हथियार हमारे मन में नकारात्मकता को नष्ट करने के लिए आवश्यक ध्यान और गंभीरता को दर्शाता है. आठवां दिन परंपरागत रूप से दुर्गाष्टमी होती है. देवी दुर्गा की उत्कृष्ट रूप से तैयार की गई और सजी हुई मिट्टी की मूर्तियां मंदिरों और दूसरे स्थानों पर स्थापित की जाती हैं. फिर इन मूर्तियों की पांच दिनों तक पूजा की जाती है और पांचवें दिन नदी में विसर्जित कर दी जाती है.

दक्षिण भारत में होती है गुड़िया और मूर्तियों की प्रदर्शनी

दक्षिण भारत में, नवरात्रि पर दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को कोलू देखने के लिए आमंत्रित किया जाता है. कोलू अलग-अलग गुड़ियों और मूर्तियों की प्रदर्शनी होती है. कन्नड़ में, इस प्रदर्शनी को बॉम्बे हब्बा, तमिल में बोम्मई कोलू, मलयालम में बोम्मा गुल्लू और तेलुगु में बोम्मला कोलुवु कहा जाता है. कर्नाटक में नवरात्रि को दशहरा कहा जाता है. यक्षगान, पुराणों के महाकाव्य नाटकों के रूप में एक पूरी रात चलने वाला नृत्य नवरात्रि की नौ रातों के दौरान किया जाता है. मैसूर दशहरा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, ये बुराई पर जीत की बात कहता है. इसे मैसूर के शाही परिवार और उनकी जंबो सवारी द्वारा संचालित किया जाता है. बता दें, नवरात्रि राजकीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

वहीं, आयुध पूजा दक्षिण भारत के कई हिस्सों में महानवमी (नौवें) के दिन बहुत धूमधाम से आयोजित की जाती है. इस दिन देवी सरस्वती की पूजा के साथ कृषि उपकरण, सभी प्रकार के उपकरण, किताबें, संगीत वाद्ययंत्र, उपकरण, मशीनरी और ऑटोमोबाइल को सजाया और पूजा की जाती है. 10वें दिन को 'विजयादशमी' के रूप में मनाया जाता है.