दुर्गा सप्तशती एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें देवी दुर्गा की महिषासुर नामक राक्षस के ऊपर विजय का वर्णन किया गया है. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ करने को बहुत ही फलदायी माना गया है. दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय हैं, दुर्गा सप्तशती ग्रंथ में कुल 700 श्लोक हैं. ये सात सौ श्लोक तीन भागों में बांटे गए हैं - प्रथम चरित्र , मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र.दुर्गा सप्तशती पाठ के श्लोकों का असर निश्चित रूप से होता है. और तीव्र गति से इसका प्रभाव पड़ता है.
क्या है दुर्गा सप्तशती
मां दुर्गा की आराधना के लिए तमाम मन्त्रों, स्तोत्रों और साधना विधि का उल्लेख किया गया है. लेकिन सर्वाधिक मान्यता प्राप्त और अचूक स्तोत्र दुर्गा सप्तशती माना जाता है.
मार्कंडेय ऋषि ने इसकी रचना की थी, इसका एक एक श्लोक एक महामंत्र है.
केवल उस मंत्र का पाठ करने से भी तमाम मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है.
दुर्गा सप्तशती बिना नियमों की जानकारी के नहीं पढ़ना चाहिए.
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय को नवरात्रि में नियम के साथ अगर पढें तो आपके जीवन में जितनी भी परेशानियां हों वो दूर हो सकती हैं.कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती के केवल 100 बार पाठ करने से सभी प्रकार की सिद्धियां पाई जा सकती हैं, लेकिन इसके पाठ में गलतियों से बचना चाहिए.
दुर्गा सप्तशती के मंत्र जाप के नियम
अपनी आवश्यकता अनुसार मंत्र का चुनाव करें, नवरात्र में मन्त्र जाप की शुरुआत करें.
कम से कम रोज तीन माला मंत्र जाप करें और लगातार नौ दिनों तक मंत्र जाप करें.
अगर रोज पाठ करते हैं तो एक, दो, एक, चार, दो, एक और दो अध्यायों का पाठ सात दिनों में करके सप्तशती को समाप्त कर लेना चाहिए.
सप्तशती के पाठ के पहले उत्कीलन मंत्र का जरूर जाप करें.
चाहें तो उत्कीलन मंत्र के बाद कवच ,अर्गला और कीलक का पाठ भी कर सकते हैं.
सप्तशती का पूर्ण फल लेने के लिए लाल वस्त्र धारण करके इसका पाठ करें.
इस दौरान सात्विक रहें, अगर उपवास रखें तो और भी उत्तम होगा.
मंत्र जाप लाल चन्दन या रुद्राक्ष की माला से करें.
सप्तशती का पाठ कैसे करें
सप्तशती का पाठ किसी भी समय में कर सकते हैं.
पर नवरात्रि में इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है.
देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं उन्हें लाल पुष्प अर्पित करें.
इसके बाद नियम पूर्वक सप्तशती का पाठ करें.
जितने दिन भी सप्तशती का पाठ करें उतने दिन सात्विकता बनाये रखें.
नवरात्रि देवी की पूजा और शक्ति की आराधना का खास समय होता है और इन नौ दिनों की पूजा विधि में मंत्रों का खास महत्व होता है.
जानिए दर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्र के बारे में
सर्वकल्याण मंत्र
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
सर्वविघ्ननाशक मंत्र
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्याखिलेशवरी।
एवमेय त्वया कार्यमस्माद्वैरि विनाशनम् ॥
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्र प्राप्ति मंत्र
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय॥
ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के ये सिद्ध मंत्र आपकी परेशानियों को दूर कर सकते हैं. दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के प्रयोग से आप अपने जीवन को खुशियों से भर सकते हैं. ममतामयी मां का हर स्वरूप अद्भुत है और दिव्य है. नवरात्रि के परम पावन दिन आज आदिशक्ति के दूसरे स्वरूप यानि मां चंद्रघंटा की उपासना हो रही है.