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Jagannath Temple Ratna Bhandar: 46 साल बाद खुला जगन्नाथ मंदिर का खजाना, जानिए खजाने में क्या-क्या मिला

Odisha Jagannath Temple Ratna Bhandar: ओडिशा(Odisha) के पुरी में सुप्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर(Jagannath Temple Puri) के रत्न भंडार को 14 जुलाई को खोल दिया गया. मंदिर के खजाने को 11 सदस्यों की देखरेख में खोला गया. जगन्नाथ मंदिर के भंडारे में कई बेशकीमती चीजें मिलीं हैं. मंदिर की बेशकीमती चीजों को संदूकों में रखा गया है.

Jagannath Temple Jagannath Temple
हाइलाइट्स
  • 12वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धाम में से एक है

  • जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार ओड़िशा हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद खुला

Odisha Jagannath Temple Ratna Bhandar: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को रविवार यानी 14 जुलाई को खोला गया. भगवान जगन्नाथ मंदिर के खजाने को 46 साल बाद खोला गया है.

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को इससे पहले साल 1978 में खोला गया था. उड़ीसा हाइकोर्ट की मंजूरी के बाद अब जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोला गया.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर के खजाने को खोलने के लिए राज्य सरकार ने 11 सदस्यों की एक टीम का गठन किया था. इस 11 सदस्यीय टीम में ओडिशा हाईकोर्ट के जज बिश्वनाथ रथ, जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक और पुरी के राजा गजपति महाराज के एक प्रतिनिधि समेत कई लोग शामिल थे.

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मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बारे में एक्स हैंडल पर बयान जारी किया गया है. इस बयान में लिखा है- भगवान जगन्नाथ की मर्जी पर उड़िया समाज ने उड़िया अस्मिता की पहचान के साथ आगे बढ़ने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. आपकी इच्छा पर पहले जगन्नाथ मंदिर के चार गेट खोले गए थे. आज आपकी मर्जी के अनुसार, 46 साल बाद मंदिर का रत्न भंडार खोला गया.

क्यों खुला?
12वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है. भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को आखिरी बार साल 1978 में खोला गया था. साल 2018 में पता चला कि रत्न भंडार की चाबियां खो गईं हैं.

साल 1978 के बाद मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है. मंदिर की कुल संपत्ति को जानने के लिए रत्न भंडार खोला गया है. कहा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के रत्नों की रक्षा सांप कर रहे हैं.

खजाने में क्या-क्या मिला?
भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के दो कमरे हैं, आंतरिक खजाना और बाहरी खजाना. रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए बेशकीमती सोने और हीरे के आभूषण हैं.

ओडिशा पत्रिका के अनुसार,ओडिशा के राजा अनंगभीम देव ने भगवान के लिए आभूषण तैयार करने के लिए 2.50 लाख माधा सोना दान में दिया था.

ओडिशा पत्रिका के मुताबिक, रत्न भंडार के बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ का सोने का मुकुट और 120 तौला के तीन सोने के हार भी हैं. वहीं आतंरिक खजाने में लगभग 74 सोने के आभूषण हैं. सभी का वजन 100 तौले से ज्यादा है. 

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भंडार में सोने, हीरे, मूंगा और मोतियों से बनीं कई प्लेंटें हैं. लगभग 140 से ज्यादा चांदी के आभूषण भी खजाने में रखे हुए हैं.

संदूकों में रखा खजाना
जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने बताया कि मंदिर के रत्न भंडार को दोबारा खोल दिया गया है. खजाने के भीतरी और बाहरी कक्षों में मिले आभूषण और दूसरी कीमती चीजों को लकड़ी के संदूकों में रखा जाएगा. 

अरबिंद पाधी ने कहा कि इन सभी संदूकों को एक सुरक्षित कमरे में रखा जाएगा. संदूकों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक ने कहा कि खजाने में मिली चीजों की लिस्ट अभी तैयार नहीं की जाएगी. सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इस काम को शुरू किया जाएगा. हमारी पहली प्राथमिकता रत्न भंडार कमरों की मरम्मत करना है.

कब खुला था?
आपको बता दें कि 12वीं शताब्दी में बने जगन्नाथ मंदिर के भंडार को पहली बार 1905 में ब्रिटिश प्रशासन ने खोला था. मंदिर के रत्न भंडार को आखिरी बार साल 1978 में खोला गया था.

साल 1978 में ही आखिरी बार भंडार के खजाने की लिस्ट बनाई गई थी. मरम्मत के काम के लिए मंदिर को साल 1985 में भी खोला गया था लेकिन तब रत्न भंडार की कोई लिस्ट तैयार नहीं की गई थी.