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Papankusha Ekadashi 2023: कई पीढ़ियों के पापों का प्रायश्चित करती है पापांकुशा एकादशी...कैसे करें पूजा, जानिए

हिंदू पंचाग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पापांकुशा एकादशी व्रत किया जाता है. वैसे तो हर एकादशी तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है लेकिन पापाकुंशा का अपना अलग महत्व है.

Papankusha Ekadashi Papankusha Ekadashi

नवरात्रि व्रत खत्म होने के बाद दशहरा आया और अब उसके बाद अश्विन माह की सबसे महत्वपूर्ण तिथि पापाकुंशा एकादशी आ गई. इस साल पापाकुंशा एकादशी तिथि 25 अक्टूबर यानि आज है. इस दिन मनोवांछित फल पाने के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत को पूरे श्रद्धा भाव के साथ करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है.

क्या है एकादशी की महिमा ?
व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या तथा एकादशी के हैं लेकिन उन सबमें भी बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसे में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि इस व्रत से ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है. इसके अलावा एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.

पापांकुशा एकादशी इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों है ?
वैसे तो हर एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है लेकिन पापांकुशा एकादशी स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी लाभ पंहुचाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की पूजा होती है. पापांकुशा एकादशी के व्रत से मन शुद्ध होता है और व्यक्ति- इस बार पापांकुशा एकादशी 25 अक्टूबर को है.

कैसे करें पूजा?
- प्रातः काल या सायं काल श्री हरि के पद्मनाभ स्वरुप का पूजन करें. 
- मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें.
- इनको पंचामृत , पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें.      
- चाहें तो एक वेला उपवास रखकर , एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें.   
- शाम को आहार ग्रहण करने के पहले उपासना और आरती जरूर करें .  
- आज के दिन ऋतुफल और अन्न का दान करना भी विशेष शुभ होता है.