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Papmochani Ekadashi 2025: कैसे करें पापमोचनी एकादशी की पूजा, क्या बरतनी है सावधानी, जानिए सबकुछ

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर होगी. जबकि अगले दिन यानी 26 मार्च को देर रात 3 बजकर 45 मिनट पर समापन होगा. इस तरह से पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को किया जाएगा. पापमोचनी एकादशी व्रत से सभी पापों का नाश होता है और श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

Papmochani Ekadashi Papmochani Ekadashi

पापमोचनी एकादशी के व्रत से विकट से विकट परिस्थिति से भी आप निकल सकते हैं, क्योंकि इस दिन जगत के पालनहार खुद भक्तों का उद्धार करते हैं. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि की प्राप्ति होती है. अंत में उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. वैदिक शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सबसे उत्तम और सबसे बड़ा व्रत माना गया है. सालभर में कुछ 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना महत्त्व है.

कब है पापमोचनी एकादशी-
वैदिक पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर होगी. जबकि अगले दिन यानी 26 मार्च को देर रात 3 बजकर 45 मिनट पर समापन होगा. इस तरह से पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को किया जाएगा.

विधि विधान से करें पूजा-
पापमोचनी एकादशी के दिन नारायण की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए विधि विधान से पूजन करना आवश्यक है. इस दिन सुबह उठकर नहा धोकर भगवान विष्णु का फूलमाला से श्रृंगार करें. उनका पंचामृत स्नान कराएं और संकल्प लेकर व्रत करें. दूसरे दिन सुबह सूर्योदय के पश्चात व्रत का पालन करें. भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करें, उन्हें पीले वस्त्र धारण कराएं और सवा मीटर पीले वस्त्र पर स्थापित करें. दाएं हाथ में जल पुष्पचंदन लेकर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु को 11 पीले फल, फूल, पीली मिठाई अर्पित करें. श्री हरि को पीला चंदन और पीला जनयु भी अर्पित करें. पीले आसन पर बैठकर भागवत कथा का पाठ या विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें. 

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क्या बरतनी हैं सावधानियां-
पापमोचनी एकादशी व्रत के दौरान कुछ विशेष सावधानियां भी रखनी चाहिए. इस दिन मन को शुद्ध और शांतिपूर्ण रखना चाहिए. किसी तरह का मन में कुविचार नहीं लाना चाहिए. मन में किसी के प्रति पाप नहीं लाना चाहिए और किसी को गाली नहीं देना चाहिए. झूठ नहीं बोलना चाहिए. दिन भर मन में 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करते रहना चाहिए. स्नान करके साफ कपड़े पहनें और विष्णु भगवान का पूजन करें. घर में तामसिक भोजन बिल्कुल न बनाएं. एकादशी के पूजा पाठ में साफ सुथरे और पीले कपड़ों का ही प्रयोग करें. एकादशी व्रत करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.

व्रत का महत्व-
पापमोचनी एकादशी व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि की प्राप्ति होती है. अंत में उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. वैदिक शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सबसे उत्तम और सबसे बड़ा व्रत माना गया है. ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि इस दिन श्री हरि की उपासना से असंभव को भी संभव किया जा सकता है. उपाय छोटे हैं, लेकिन बेहद ही कारगर हैं. सच्चे मन से अगर इन उपायों को अपनाया जाए, तो सहजता से ही श्री हरि की कृपा मिल सकती है.

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