महाशिवरात्रि इस साल 1 मार्च को है. इस दिन शिवजी की पूजा की जाती है. यूं तो भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है लेकिन अगर इस दिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा की जाती है तो इसका विशेष महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि जो भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा-अर्चना करता है उसके जन्म -जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का डर भी खत्म हो जाता है. शिवपुराण के मुताबिक, सबसे पहले कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन की शुरुआत की थी.
कैसे बनता है पार्थिव शिवलिंग?
पार्थिव शिवलिंग हाथों से बनाया जाता है. इसके लिए आपको मिट्टी, जल, भस्म, चन्दन और शहद की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद छानी हुई शुद्ध मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन , शहद ,चंदन और भस्म मिलाएं और हाथों से शिवलिंग का आकार बनाएं. आप अपने हिसाब से शिवलिंग की ऊंचाई रख सकते हैं. कोशिश करें कि शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से ज्यादा न हो. इसे बनाकर सूखने के लिए रख दें. सूखने के बाद इसकी पूजा करें और मंत्र-जाप करके इसे शुद्ध करें.
शिवलिंग बनने के बाद ऐसे करें पूजा
पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान करें. फिर इसके बाद पार्थिव शिवलिंग को प्रणाम करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, इससे आपकी समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. अगर आपको किसी प्रकार का कोई रोग है तो जाप करने से आप ठीक हो सकते हैं. इसके साथ आप दुर्गासप्तशती के मंत्रों का जप भी कर सकते हैं. पार्थिव के विधि वत पूजन के बाद श्री राम कथा भी सुना/सुन सकते हैं.
(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है)