कहा जाता है कि पितरों की कृपा हो..पितरों का आशीर्वाद मिल जाये तो कुंडली के दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है. विशेषकर अगर आपकी कुंडली में है पितृ-दोष का प्रभाव हो तो पितृपक्ष के दिनों में कुछ उपायों से इसका असर खत्म हो जाता है.
क्या है पितृ दोष और क्या है इसका प्रभाव?.
जीवन की उन्नति में तमाम चीजें बाधा उत्पन्न करती हैं. कुछ दोष जाने पहचाने होते हैं , और कुछ अज्ञात. इन्हीं अज्ञात दोषों में से एक दोष है - पितृ दोष. आम तौर से यह योग राहु से बनता है. राहु की विशेष स्थितियां ही इस योग का कारण होती हैं.
बता दें कि पितरों की विशेष कृपा को प्राप्त करना और श्राद्ध वो समय होता है, जब आप अपने पूर्वजों को प्रसन्न कर सकते हैं. विवाह का योग नहीं बन पा रहा हो, सेहत खराब चल रही हो. संतान सुख में देरी हो रही हो, रिश्तों में कड़वाहट चल रही हो. इस तरह की दिक्कतों से अगर आप गुजर रहे हैं तो समझ जाइये कि आपकी कुंडली में कोई ना कोई दोष है. जिसके दुष्परिणाम आपको भुगतने पड़ रहे हैं.
कुंडली में पितृदोष है, तो क्या होते हैं नुकसान?
व्यक्ति को मानसिक परेशानी हमेशा लगी रहती है.
पारिवारिक संतुलन नहीं बैठ पाता है.
जीवन में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के बाद भी घर में बरकत नहीं हो पाती है.
स्वयं निर्णय लेने में बहुत परेशानी होती है.
परीक्षाओं और साक्षात्कार में भी असफलता मिलती है.
संतान प्राप्ति में बहुत ज्यादा बाधाएं आती हैं.
श्राद्ध को मुक्ति का मार्ग माना गया है और कहते ये भी हैं कि पितृपक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिल जाता है.
पितृपक्ष चल रहा है. लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण कर रहे हैं. क्योंकि पितृदोष अज्ञात माना गया है.
क्या है पितृ दोष और क्या होता है इसका प्रभाव ?
पूर्व जन्म में अगर माता - पिता की अवहेलना की गई हो.
अपने दायित्वों का ठीक तरीके से पालन न किया गया हो.
अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरूपयोग किया गया हो.
तो इसका असर जीवन पर दिखने लगता है.
व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर असफलता मिलती है.
ज्योतिष के जानकारों का ये मानना है कि पितृपक्ष में हमारे पूर्वज किसी ना किसी रूप में धरती पर आते हैं और परिवार जनों को खुशियों का वरदान देते हैं. इसीलिए पितृपक्ष में कौआ, गाय, चींटियों जैसे जीवों की सेवा करने का विधान है. इसलिए श्राद्ध करना जहां बेहद अहम और आवश्यक कर्म है. वहीं पितृपक्ष के दौरान किए गए छोटे-छोटे उपाय बहुत लाभकारी होते हैं. एक तो इनसे किस्मत चमकती है वहीं दूसरी ओर पितरों की कृपा भी मिलती.
कुंडली में किन योगों के होने पर पितृ-दोष होता है ?
कुंडली में राहु के दूषित होने पर.
राहु का सम्बन्ध धर्म भाव से होने पर.
राहु का संयोग सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ हो.
कुंडली में गुरु चांडाल योग हो.
कुंडली में केंद्र स्थान रिक्त हों.
बता दें कि पितृपक्ष के दौरान शांत चित से अपने पितृों का तर्पण करने से उनका श्राद्ध कर्म करने से पितृों को तो मुक्ति मिलती ही है. तर्पण करनेवाले के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के समय पितृ मौजूद रहते हैं और नियमानुसार उचित तरीके से कराए गए श्राद्ध से तृप्त होकर सुख तथा समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.अगर कुंडली में प्रबल पितृ दोष हो तो पितरों का तर्पण जरूर करना चाहिए.
कैसे करें, पितृ-दोष का निवारण ?
अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएँ, खीर जरूर खिलाएँ - पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी देखभाल करें.
श्रीमदभगवद्गीता का नित्य प्रातः पाठ करें.
घर के पूजा स्थान पर, रोज शाम को एक दीपक जलाएं.
अगर मामला ज्यादा जटिल हो तो, श्रीमद् भागवत का पाठ कराएं.
पितृपक्ष के महाउपाय
शनिवार के दिन अन्न या वस्त्र का दान करना विशेष शुभ होता है.
ये दान आपको शनि और अन्य ग्रहों की पीड़ा से बचाता है.
पितृ पक्ष में शनिवार के दान का फल कई गुना ज्यादा मिलता है.
नष्ट होगी घर की नकारात्मक ऊर्जा
घर में नमक मिले हुए पानी का पोछा लगाएं
घर के सभी कोनों की सफाई पर विशेष ध्यान दें
शनिवार को घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं