काशी कॉरिडोर बनने के बाद से देश-विदेश से लोग लगातार काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए वाराणसी पहुंच रहे हैं. कोई मौसम ऐसा नहीं है जब आपको काशी में टूरिस्ट्स की भीड़ न मिले. यह शहर देश की प्राचीनतम शहर है और इसकी धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्वता बहुत ज्यादा है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी से लोकसभा इलेक्शन के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. बताया जा रहा है कि नामांकन दाखिल करने से पहले पीएम मोदी काशी के कोतवाल के यहां अर्जी लगाने जाएंगे.
बाबा कालभैरव को काशी की कोतवाल माना जाता है. मान्यता है कि बगैर कालभैरव की अनुमति के कोई भी काशी में ठहर नहीं सकता है. यानी बाबा कालभैरव की इजाजत के बगैर कोई भी काशीवास नहीं कर सकता है. पीएम मोदी भी इस परंपरा से वाकिफ हैं. इसीलिए नामांकन में जाने के ठीक पहले वह काशी के कोतवाल के यहां अर्जी लगाने जाएंगे. बाबा कालभैरव की उत्पत्ति यानी मंगलवार के दिन उनके दर्शन पूजन का विशेष फल होता है.
काल भैरव का है अत्याधिक महत्व
काल भैरव को समर्पित मंदिर, जिन्हें 'कोतवाल' या काशी का संरक्षक देवता कहा जाता है, पवित्र शहर वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित है. वाराणसी दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है और लोग दूर-दूर से आध्यात्मिक ज्ञान और एक समय के बाद मोक्ष प्राप्त करने के लिए वाराणसी आते हैं. किंवदंती है कि वाराणसी में काल भैरव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच युद्ध के दौरान प्रकट हुए थे.
काल भैरव ने युद्ध के दौरान क्रोध में ब्रह्माजी का सिर काट दिया था. इसके बाद काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का आरोप लगा, तो वह तपस्या करने के लिए काशी आए और काशी की पवित्र भूमि पर ही वह इस पाप से मुक्त हुए. कहा जाता है कि उस समय से, काल भैरव काशी में निवास करते हैं, उन्होंने कभी वह भूमि नहीं छोड़ी जिससे उन्हें श्राप से मुक्ति मिली. एक अन्य किंवदंती कहती है कि ब्रह्महत्या का श्राप दूर होने के बाद, भगवान शिव ने काल भैरव को शहर के संरक्षक के रूप में काशी में रहने का आदेश दिया.
काल भैरव के दर्शन के बिना अधूरी है यात्रा
ऐसा कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर की कोई भी पवित्र यात्रा अधूरी है अगर भक्त बाबा काल भैरव के दर्शन और आशीर्वाद नहीं लेते हैं. यह परंपरा इस विश्वास से उपजी है कि काल भैरव की सुरक्षा और मार्गदर्शन के बिना यात्रा पूरी नहीं होती है. काशी के कोतवाल के रूप में, उन्हें आशीर्वाद देने, बाधाओं को दूर करने और आध्यात्मिक कल्याण सुनिश्चित करने वाले परम अधिकारी के रूप में माना जाता है.
मंदिर के महंत नवीन गिरी बताते हैं पीएम मोदी न केवल माँ गंगा को माँ मानते है, बाबा काशी विश्वनाथ उनके आराध्य है तो बाबा कालभैरव में उनकी अटूट आस्था भी है. यही वजह है कि वर्ष 2014 और फिर 2019 में नामांकन के ठीक पहले पीएम मोदी बाबा काल भैरव के दरबार में अर्जी लगाना नहीं भूलते हैं.