हमारा देश हिन्दुस्तान अपने सीने में अनेकों परंपराएं और रीति-रिवाजों को अपने सीने में दबाए हुआ है. वक्त के साथ हमारे मिजाज तो जरूर बदले हैं लेकिन हम हिन्दुस्तानी कहीं ना कहीं आज भी अपनी परंपराओं से जुड़े हुए दिखाई देते हैं. ये कहना एकदम जायज़ होगा कि हम इन परंपराओं से ना सिर्फ जुड़े हैं बल्कि इन परंपराओं को आज भी उतनी ही प्राथमिकता देते हैं. इसी का नतीजा है कि आज विदेशों में भी लोग हिन्दुस्तानी परंपराओं को मान रहे हैं. हिंदुस्तानी शादीशुदा महिलाओं का पैर में 'बिछिया' पहनना हो या तांबे के बर्तन से पानी पीना... ऐसी ही बहुत सारी पंरपराएं हैं जिनके बारे में आज हम बताने जा रहे हैं.
पैरों में बिछिया
भारत में, शादीशुदा महिलायें पैर में "बिछिया" पहनती हैं. बिछिया एक तरह की अंगूठी होती है, जिसे पैरों में पहना जाता है. आयुर्वेद के मुताबिक पैर की अंगुली में छल्ले पहनने से खून का बहाव और गर्भाशय में हार्मोन कंट्रोल में रहता है, जिससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता बेहतर होती है और गर्भाशय भी सेहतमंद रहता है. पैरों में बिछिया पहनने से शादीशुदा महिलायें बिना किसी परेशानी के आसानी से गर्भवती हो सकती है. पैर की अंगुली की अंगूठी पहनने से शादीशुदा औरतों के पीरियड्स भी सही से आते हैं.
कान छिदवाना (Ear piercing)
कान छिदवाना एक प्राचीन भारतीय प्रथा है, जिसे कर्ण वेध के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक यह मानव जीवन के 16 संस्कारों में से एक माना जाता है. कान छिदवाना फैशनेबल तो होता ही है साथ ही इसके कई फायदे भी हैं जो सीधा हमारी सेहत से जुड़े हैं.
बेहतर प्रजनन क्षमता
आयुर्वेद के मुताबिक, कान के लोब का बीच का हिस्सा प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ा होता है. कान छिदवाने से भी महिलाओं में पीरियड से जुड़ी परेशानियां खत्म होती हैं.
दिमाग की सेहत के लिए भी होता है फायदेमंद
कहा जाता है कि बच्चों में कम उम्र में ही कान छिदवाने से दिमाग का विकास बेहतर होता है. एक्यूप्रेशर चिकित्सा थ्योरी कहती है कि इयर लोब में मेरिडियन पॉइंट होता है जो दाएं hemisphere को मस्तिष्क के बाएं hemisphere से जोड़ता है. इस बिंदु को छेदने से दिमाग के ये हिस्से एक्टिव हो जाते हैं. आयुर्वेद के मुताबिक, कान छिदवाने वाली जगह पर दो एक्यूप्रेशर बिंदु - master sensorial और master cerebral points मौजूद होते हैं. ये दो बिंदु बच्चे के सुनने की क्षमता को बेहतर बनाते हैं.
हाथ जोड़ कर नमस्ते करना
हिंदू संस्कृति में 'नमस्कार' के पीछे एक वैज्ञानिक फैक्ट है. दोनों हाथों को मिलाने से सभी उंगलियों की टिप्स एक साथ जुड़ती हैं. उंगलियों की ये टिप्स आंखों, कानों और दिमाग में दबाव बिंदुओं से जुड़ी होती हैं. साइंस के मुताबिक उंगलियों की सभी टिप्स को एक साथ दबाने से आंखों, कानों और दिमाग के pressure point एक्टिव हो जाते हैं. जिससे इंसान की याददाशत बेहतर होती है.
माथे पर तिलक लगाना
माथे पर भौंहों के बीच की जगह इंसान के शरीर की खास तंत्रिका बिंदु है. ऐसा माना जाता है कि तिलक लगाने से इंसान की ऊर्जा इकट्ठा होती है, इससे इंसान की एकाग्रता भी बढ़ती है. जिससे कोई भी काम करने में मन लगता है.और इंसान अपने समय का सही इस्तेमाल करता है.
मंदिर की घंटी
मंदिर में प्रवेश करते ही लोग घंटी बजाते हैं. ऐसा माना जाता है कि घंटियों की ध्वनि हमारे दिमाग को शांत करती है. मंदिर की घंटियों की बनावट भी इस तरह की होती है कि इनसे निकलने वाली आवाज हमारे दिमाग के बाएँ और दाएँ हिस्सों में तेजी से फैलती है. जिससे दिमाग से सभी निगेटिव ऊर्जा बाहर निकल जाती है.
उत्तर की ओर सिर करके नहीं सोना
जब आप उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तो आपके शरीर का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के विपरीत हो जाता है, क्योकि इंसान का शरीर और पृथ्वी दोनों में ही मैगनेटिक पावर होते हैं. गलत चुंबकीय क्षेत्र में सोने से ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानियां होती है. इसलिए उत्तर की तरफ सिर करके नहीं सोने की परंपरा हमारे लिए फायदेमंद है.
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार हमारे शरीर को सेहतमंद रखने में बेहद फायदेमंद है. सदियों काल से लोग भगवान सूर्य की पूजा करते आ रहे है. शास्त्रों में भी इनकी पूजा का विशेष महत्व बताया गया. स्वास्थ्य के नजरिए से देखा जाए, तो सूर्य की किरणों से आने वाला विटामिन डी हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ गंभीर बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोनावायरस की दूसरी लहर में विटामिन डी का पूरी मात्रा में होना बेहद जरूरी माना जा रहा है. रोजाना सूर्य नमस्कार करने से आपके शरीर में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में रह सकती है और आप कोरोनावायरस जैसी खतरनाक बीमारियों से बहुत हद तक बच सकते है.
तांबे के बर्तन में पानी पीना
आयुर्वेद में ऐसी मान्यता है कि तांबे के बर्तन का पानी तीन दोषों वात, कफ और पित्त को ठीक रखकर आपके पेट और गले से जुड़ीं बीमारियों को काफी हद तक ठीक करने में मदद करता है. आपको रोजाना सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए.