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Portable Home in Mahakumbh: महाकुंभ में बंगाल से पोर्टेबल घर लेकर पहुंचा परिवार, टेंट में बिता रहे हैं पूरे 8 दिन

यह परिवार ऑनलाइन 3,000 रुपये में दो फोल्डेबल टेंट लेकर आया है. ये टेंट इतने बड़े हैं कि एक बार में पूरा परिवार आराम से अंदर रुक सकता है. परिवार के सदस्य सुबह होते ही टेंट को फोल्ड कर पास के बगीचे में रख देते हैं और दूसरे घाट की ओर प्रस्थान कर जाते हैं.

Portable Tent Portable Tent
हाइलाइट्स
  • घर जैसा आराम और पैसे की बचत

  • टेंट के अंदर घर जैसा माहौल

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते होटल और धर्मशालाओं में कमरों की भारी कमी हो गई है. इस स्थिति से बचने के लिए एक बंगाली परिवार ने अनोखा तरीका अपनाया है. परिवार के 12 सदस्य अपने साथ पोर्टेबल टेंट लेकर आए हैं, जिसमें वे पिछले आठ दिनों से रह रहे हैं. उनका कहना है कि इस व्यवस्था से न केवल उनका पैसा बचा है, बल्कि उन्हें आराम भी मिल रहा है. 

घर जैसा आराम और पैसे की बचत
यह परिवार ऑनलाइन 3,000 रुपये में दो फोल्डेबल टेंट लेकर आया है. ये टेंट इतने बड़े हैं कि एक बार में पूरा परिवार आराम से अंदर रुक सकता है. परिवार के सदस्य सुबह होते ही टेंट को फोल्ड कर पास के बगीचे में रख देते हैं और दूसरे घाट की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. शाम होते ही वे फिर से टेंट लगाते हैं और आराम से रात बिताते हैं.

परिवार के मुखिया ने बताया, "महाकुंभ में इतनी भीड़ होती है कि होटल के कमरे मिलना मुश्किल है. अगर कोई कमरा मिल भी जाए तो उसकी कीमत आसमान छू रही है. इसलिए हमने यह टेंट लेकर आना सही समझा. यह बहुत आरामदायक है और खर्च भी कम हुआ है."  

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टेंट के अंदर घर जैसा माहौल
परिवार के सदस्य बताते हैं कि टेंट के अंदर ठंडक बनी रहती है, जिससे धूप और उमस से राहत मिलती है. महिलाएं और बच्चे आराम से अंदर बैठकर भोजन करते हैं और आराम करते हैं. एक सदस्य ने कहा, "इस टेंट के अंदर बैठने पर ऐसा लगता है जैसे हम अपने घर के किसी कमरे में बैठे हों."  

टेंट के इस नए ट्रेंड ने महाकुंभ में कई अन्य श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया है. कुछ लोगों ने इस परिवार से टेंट के बारे में जानकारी ली और खुद भी भविष्य में इस तरह की योजना बनाने का मन बनाया.

महाकुंभ में रोजगार का अनोखा तरीका
महाकुंभ में न केवल श्रद्धालु, बल्कि स्थानीय लोग भी नए रोजगार के अवसरों का फायदा ले रहे हैं. श्यामू नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि वह नदी में फेंके गए सिक्कों को निकालने के लिए मैग्नेट का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा, "एक बार में हजार से ज्यादा सिक्के निकाल लेता हूं. इससे मेरी रोज की कमाई एक हजार रुपये तक हो जाती है. महीने में तीस हजार रुपये तक कमा लेता हूं."  

श्यामू ने आगे बताया कि पहले वह नाव चलाकर कमाई करता था, लेकिन फिलहाल मेले के दौरान इस नए काम से अच्छा खासा कमा रहा है. उनके जैसे कई अन्य लोग भी इस तरीके को अपनाकर पैसा कमा रहे हैं. 

(इनपुट-सिमर चावला)