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कुंभ में विदेशियों के भी रंग, आपस में दुश्मन देश के नागरिक एक साथ मिलकर कर रहे हैं पूजा-पाठ

संगम की रेती पर लगे महाकुंभ में हर रंग नजर आते हैं, जो आपको देखकर अपनी ओर आकर्षित करते हैं, कहा जाता है संगम मिलन को कहते हैं, वैसे ही संगम की रेती पर लगे महाकुंभ में भी देसी नहीं विदेश के लोगों का भी संगम होता है,

Mahakumbh 2025 Mahakumbh 2025
हाइलाइट्स
  • शिवनाम की माला का जाप

  • विश्वशांति कायम रखने का यज्ञ हवन

संगम की रेती पर लगे महाकुंभ में हर रंग नजर आते हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित भी करते हैं. संगम का दूसरा नाम मिलन है. और हर बार की तरह इस बार भी संगम की रेती पर लगे महाकुंभ में विदेशी लोगों का भी भारतीयों से संगम हो रहा है.

ऐसा ही कुछ संगम प्रयागराज के वर्ल्ड वाइड सनातन कम्युनिटी के एक शिविर में देखने को मिला, जिसमें अलग-अलग देशों के विदेशी रहकर सनातन परंपरा के तहत हवन भजन कर विश्वशांति की कमाना कर रहे हैं. सबसे खास बात ये है कि कुछ विदेशी ऐसे हैं जिसके देश आपस में दुश्मन हैं. शिविर में खास तौर पर रूस यूक्रेन जैसे दुश्मन देश के नागरिक भी एक शिविर में रहते हैं. सभी महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी के शिविर में विश्वशांति के लिए शिव नाम की माला जप रहे हैं.

शिवनाम की माला का जाप
प्रयागराज के महाकुंभ आस्था भक्ति व ज्ञान की त्रिवेणी नहीं बल्कि विश्व बंधुत्व का भी बड़ा संदेश दे रहा है, जिसका नजारा आप महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी के शिविर में साफ देख सकते हैं. जहां पर रूस यूक्रेन जैसे देश जो आपस में युद्ध की मार झेल रहे है. उसके नागरिक भी एक शिविर में पंच कर्म कर दुनिया में शांति कायम रहने की कमाना कर शिवनाम की माला का जाप करते हैं.

विश्वशांति कायम रखने का यज्ञ हवन
महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी के मुताबिक श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संत महामंडलेश्वर के शिविर में देश विदेश के दर्जनों भक्त एक साथ सनातन परंपरा के अनुसार पंच कर्म कर संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे हैं. भक्तगण शिविर में रहकर गंगा स्नान ध्यान भजन हवन एवं अध्ययन कर रहे हैं. संध्या भजन कर शिव नाम की माला जप कर आपस में वैमनस्यता रखने वाले दुश्मन देश के बीच शांति व विश्वशांति कायम रखने का यज्ञ हवन कर रहे हैं. मकसद सनातन परंपरा के तहत दुनिया को भारतीय संस्कृति व वैदिक सभ्यता के अनुसार विश्व बंधुत्व की सीख विश्व पटल पर स्थापित करना है.

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मेले में आस्था की बयार
प्रयागराज के संगम पर लगे आस्था के पर्व में विश्व के लोगों को समेटे हुए और साधु संतों के अलग-अलग रूप नजर आते हैं. पूरे मेले में आस्था की बयार बह रही है. इसी पूजा पाठ में अब देश नहीं विदेश के लोग भी शामिल हो रहे हैं. आमतौर पर अपने देश के लोगों को पूजा पाठ करते हुए देखा जाता है, लेकिन इस शिविर में अधिकतर विदेशी हैं पूजा पाठ आरती और मत्रों का जप विदेशी करती नजर आते हैं.

-आनंद राज की रिपोर्ट