

यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत ( Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल कुम्भ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री ने महाकुंभ प्रयागराज का प्रतीक चिह्न (Mahakumbh Logo) जारी किया. इस लोगो में संगम की सैटेलाइट तस्वीर के साथ ही कुम्भ की मान्यता से जुड़े अमृत कलश और साधु संतों के चित्र को भी शामिल किया गया है. लोगो में महाकुंभ का ध्येय वाक्य 'सर्वसिद्धिप्रदः कुम्भः' भी लिखा हुआ है.
‘सर्वसिद्धिप्रदः कुम्भः' है प्रयागराज महाकुंभ का ध्येय वाक्य:
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ का आयोजन इस बार गंगा यमुना सरस्वती संगम पर प्रयागराज में होगा. इसके लिए तैयारियां बड़े पैमाने पर की जा रही हैं. सीएम योगी ने प्रयागराज में महाकुम्भ के प्रतीक चिह्न अनावरण किया. सिर्फ़ संख्या की दृष्टि से नहीं, बल्कि सबसे ज़्यादा विविधता वाले और शांतिपूर्ण आयोजन के रूप में भी महाकुंभ को पहचाना गया है. लोगो में सबसे ऊपर इसका ध्येय वाक्य लिखा है. महाकुंम्भ का ध्येय वाक्य ‘सर्वसिद्धिप्रदः कुम्भः'(सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला कुम्भ) है. हिंदू धर्म में कुम्भ को सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला बताया गया है. सबसे बड़े लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी महाकुंभ एक माध्यम है.
समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा अमृत कलश:
कुम्भ के लोगो में ख़ास है अमृत कलश. समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को महाकुम्भ के लोगो में दर्शाया गया है. इसी अमृत कलश की बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में छलकी थीं. इन्हीं स्थानों पर कुम्भ और महाकुंभ का आयोजन होता है. अमृत कलश के मुख को विष्णु, ग्रीवा को रूद्र, आधार भाग को ब्रह्मा का प्रतीक माना गया है जबकि बीच के भाग को समस्त देवियों और इसके जल को संपूर्ण सागर का प्रतीक भी माना जाता है. हिंदू धर्म में भी शुभ कार्यों में कलश का महत्व है.
कुम्भ में सभी जाति और मतों के लोग बिना बुलाए आते हैं. पर देश भर से आए सभी संप्रदायों के साधु-संतों लिए कुम्भ सबसे विशेष अवसर होता है. गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम पर स्नान के साथ ही अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करते हैं. 13 अखाड़ों के अलग अलग नियम और परंपराएं हैं जिनका वृहत रूप कुम्भ देखा का सकता है. इस लोगो में साधु संतों को स्नान और प्रणाम की मुद्रा में दिखाया गया है. वहीं हर शुभारम्भ से पहले होने वाले शंखनाद को भी दिखाया गया है. शंखनाद शुभ सूचना का भी प्रतीक है.
#WATCH | The logo of Mahakumbh Fair 2025 unveiled in Prayagraj.
— ANI (@ANI) October 6, 2024
Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath was present during the launch of the logo. pic.twitter.com/xdi5iVVgfe
अक्षय वट है सृष्टि के सृजन और प्रलय का साक्षी:
प्रयागराज के सबसे धार्मिक मान्यता वाले अक्षय वट को भी इस लोगो में देखा जा सकता है. मान्यता है कि अक्षय वट सृष्टि के सृजन और प्रलय का साक्षी है. त्रिवेणी संगम के पास अक्षय वट के दर्शन के बिना संगम स्नान पूरा नहीं माना जाता. इसके साथ ही संगम पर बड़े हनुमान जी (लेटे हुए हनुमान जी) को भी दिखाया गया है. हनुमान जी यहां विश्राम की मुद्रा में हैं और हर साल मां गंगा एक बार उन्हें स्नान कराने आती हैं.
त्रिवेणी प्रयाग की विशिष्टता तीन नदियों (गंगा, यमुना और सरस्वती) के संगम की वजह से है. जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त करने वाली त्रिवेणी को महाकुम्भ के लोगो में जगह दी गई है. इसमें 'संगम' के जीवंत सैटेलाइट चित्र को स्थान दिया गया है. प्रयागराज के मंदिरों की शृंखला को भी लोगो में जगह मिली है. प्रयागराज महाकुम्भ के भव्य और दिव्य स्वरूप को देखते हुए इसके प्रतीक को बनाया गया है.