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Christmas Story: दो सदी पुराना St James’ Church और एक परिवार की 114 साल पुरानी परंपरा की कहानी

सेंट जेम्स चर्च दो सदी पुराना है. इसका निर्माण 1836 में कर्नल जेम्स स्किनर के लिए किया गया था. कर्नल जेम्स मराठा सेना में सैनिक थे. जिन्होंने बाद में ब्रिटिश सेना के लिए दो घुड़सवार कंपनियां खड़ी की थी.

St. James' Church (Social Media) St. James' Church (Social Media)

आज यानी 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है. देशभर में इस फेस्टिवल को मनाया जा रहा है. दिल्ली के एक पुराने चर्च सेंट जेम्स को भी इस मौके पर सजाया गया है. ये चर्च करीब दो सदी पुराना है. इस चर्च को साल 1870 में बनाया गया था. इस चर्च से एक परिवार की 114 साल पुरानी परंपरा जुड़ी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस परिवार के सदस्य प्रोफेसर सिडनी आर रेबेरो ने क्रिसमस से जुड़ी परंपरा बताई.

प्रोफेसर रेबेरो ने याद किए पुराने दिन-
81 साल के प्रोफेसर रेबेरो के पास क्रिसमस से जुड़ी कई कहानियां हैं. उनका परिवार पिछले 114 साल से दिल्ली के कश्मीर गेट में सबसे पुराने सेंट जेम्स चर्च में जाता रहा है. वो बताते हैं कि सेवा के बाद सेंट जेम्स और सेंट मैरी चर्च के युवा अपने दोस्तों, पड़ोसियों के साथ पिकनिक के लिए अलीपुर रोड पर कैनाल रेस्ट हाउस या कमला नेहरू रिज की ओर जाते थे.

दिल्ली में प्रोफेसर सिडनी आर रेबेरो ने याद किया कि उनकी दोस्त सिस्टर डॉ. मेल्बा रोड्रिग्स ने कई दशक पहले राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में यही कैरोल गाया था. साल 1985 से 2021 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन के तौर पर काम करने वाले प्रोफेसर रेबेरो बताते हैं कि उनकी आवाज बहुत खूबसूरती से गूंजती थी. 

114 साल पुरानी रेबेरो फैमिली की परंपरा-
प्रोफेसर रेबेरो ने क्रिसमस ओपन हाउस और फैमिली डिनर को लेकर एक परंपरा का जिक्र किया, जो आज भी बनी हुई है. ओपन हाउस सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक सभी को इनवाइट करेगा और बच्चों को कॉफी, केक और सॉफ्ट ड्रिंक्स ऑफर करेगा. ये परिवार क्रिसमस डिनर में फैमिली मेंबर, पड़ोसी और घर के स्टाफ शामिल होते हैं.

क्रिसमस पर डिनर की रेबेरो फैमिली की परंपरा 114 साल पुरानी है. ये परंपरा प्रोफेसर रेबेरो के दादा ने शुरू की थी, उस समय वो हैमिल्टन रोड पर रहते थे. उनके परदादा ने इस परंपरा को लाहौर में निभाया था. लेकिन इसके बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया.

सेंट जेम्स चर्च का इतिहास-
सेंट जेम्स चर्च दो सदी पुराना है. इसका निर्माण 1836 में कर्नल जेम्स स्किनर के लिए किया गया था. कर्नल कभी मराठा सेना में भाड़े के सैनिक थे, जो बाद में ब्रिटिश सेना के लिए दो घुड़सवार कंपनियां खड़ी की. रिपोर्ट के मुताबिक चर्च के रेवरेंड प्रतीक पिल्लई बताते हैं कि कैसे पिछले कुछ सालों में क्रिसमस का त्योहार बदल गया है. जिसमें भारतीयकरण को बढ़ावा मिला है. उन्होंने बताया कि क्रिसमस परिवार के डिनर में अब अक्सर बिरयानी, कबाब, कोरमा, मुरुक्कू और गुजिया शामिल होता है.

क्रिसमस से जुड़ी यूरोप की कहानी-
यूरोप में क्रिसमस से जुड़ी एक कहानी फेमस है. ये वाक्या साल 1870 का है, जब फ्रांस और पर्शिया के बीच युद्ध चल रहा था. क्रिसमस की पूर्व संध्या पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने थे. एक फ्रांसीसी सैनिक ने ट्रेंच से बाहर आ गया और कैंटिक डी नोएल-ओ होली नाइट गाने लगा. दोनों तरफ के सैनिक स्तब्ध होकर सुनने लगे. इसके बाद एक पर्शिया सैनिक खड़ा हुआ और वो भी कैरोल गाना शुरू कर दिया. इसके बाद क्रिसमस के लिए 24 घंटे के लिए सीजफायर का आह्वान किया गया.

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