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पूर्वांचल का वो मंदिर जहां चुनावों में लगती है भीड़, नेताओं की दस्तक भगवान शिव के दर पर

राजनीति में जीत और हार जनता तय करती है. मगर नेता ईश्वर के दर पर भी जाकर दुआ जरूर मांगता है या कहे भूल की माफी मांगता है. पूर्वांचल का दुग्देश्वर महादेव उन्हीं मंदिरों में से एक है. जहां बड़े-बड़े नेता या चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी एक बार आकर शीश जरूर झुकाते है.

पूर्वांचल का वो मंदिर जहां चुनावों में लगती है भीड़, नेताओं की दस्तक भगवान शिव के दर पर पूर्वांचल का वो मंदिर जहां चुनावों में लगती है भीड़, नेताओं की दस्तक भगवान शिव के दर पर
हाइलाइट्स
  • जीत की दुआ कर यहां माथा टेकते हैं नेता

  • 2000 साल पुराना है ये मंदिर

पूर्वाचल का एक ऐसा मंदिर जहां चुनाव लड़ने वाला हर प्रतियाशी नामांकन के बाद जरूर आता है. दुग्देश्वर महादेव मंदिर जो कि रुद्रपुर में है. यहां मान्यता है कि यहां दर्शन करने से जीवन में हार का सामना नहीं करना पड़ता. बस दिल में सच्ची श्रद्धा हो तो हर जीत हर हाल में मिलती है. 

जीत की दुआ कर यहां माथा टेकते हैं नेता
कहते हैं राजनीति में जीत और हार जनता तय करती है. मगर नेता ईश्वर के दर पर भी जाकर दुआ जरूर मांगता है या कहे भूल की माफी मांगता है. पूर्वांचल का दुग्देश्वर महादेव उन्हीं मंदिरों में से एक है. जहां बड़े-बड़े नेता या चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी एक बार आकर शीश जरूर झुकाते है. मान्यता है कि यहां जो कोई भी आएगा उसकी मनोकामना जरूर पूरी होगी. इसलिए नामांकन भरने के बाद यहां इस क्षेत्र के प्रत्याशी का आना तय होता है. यहां के लोग बताते है कि नेता जानते कि अगर महादेव ने कृपा कर दी तो जनता भी नैया पार लगा देगी. यहां रहने वाले राम प्रसाद कहते है कि यहां चुनावों में नेताओं का आना लगा रहता है. हर कोई जानता है कि चुनाव जीतने है तो महादेव का आशीर्वाद मिलना बेहद जरूरी है. 

2000 साल पुराना है ये मंदिर
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि ये करीब 2000 साल से भी पुराना है. ये शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग है. मान्यता है कि जब इस शिवलिंग के बारे में उस समय के राजा को पता चला तो उसने यहां पर शिवलिंग को निकालने के लिए खुदाई शुरू करवाई पर जितना खोदा गया. ये शिवलिंग उतनी नीचे जाती रही. इसलिए ये शिवलिंग 14 सीढ़िया नीचे है. ये भी माना जाता है कि यहां राजा युद्ध में जाने से पहले भी दर्शन करने आते थे. आज के दौर में चुनाव भी किसी युद्ध से कम नहीं है. 

प्रचार शुरू करे से पहले यहां आते हैं नेता
मंदिर के महंत सुरेश दास कहते हैं कि ये मंदिर करीब 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस शिवलिंग का अवतरण स्वम्भू है. यहां मान्यता है कि जो कोई भी दर्शन करने आता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए इस चुनाव में भी नेताओं का आना-जाना जारी है. चुनाव के इस दौर में हर प्रत्याशी या नेता चाहता कि जनता और जनार्दन दोनों का आशीर्वाद मिल जाए. इसलिए पहले भोले  बाबा को नतमस्तक करके ही चुनावी प्रचार शुरू करते हैं.