बसंत पंचमी के दिन वेदों की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है की शिक्षा या किसी कला से सम्बधित नये कार्य को शुरू करने के लिए मां सरस्वती पूजन शुभ होता है. वैसे तो सनातन धर्म को मानने वाले सभी लोग देवी सरस्वती में अपनी आस्था रखते है, लेकिन शिक्षा,कला,साहित्य से जुड़े लोग सरस्वती मां के प्रति विशेष आस्था रखते हैं. राजस्थान के सिरोही जिले के अजारी गांव में मां सरस्वती का एक ऐसा ही प्राचीन और पौराणिक मंदिर है, जो कई ऋषि,मुनियों की साधना स्थली का केंद्र रहा है. मान्यता है की यहां पर स्थापित मां सरस्वती की प्रतिमा के दर्शन से वाणी विकार दूर होता है और ज्ञान बढ़ता है.
दूर होता है वाणी विकार
राजस्थान के सिरोही जिले की पिण्डवाडा तहसील के अजारी गांव में स्थित है मार्कंडेश्वर धाम. यहां तकरीबन तेरह सौ 94 साल पूर्व बसंतगढ़ राज्य के तत्कालीन राजा ब्रह्मदत्त द्वारा मां सरस्वती का पौराणिक मंदिर स्थापित किया गया है. मान्यता है की यह सरस्वती मंदिर देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर बच्चों की वाणी, शिक्षा और बुद्धि के लिए मन्नते मांगी जाती हैं. मान्यता है की पढ़ाई में कमजोर और ऐसे बच्चे भी जिनका मानसिक विकास रुका हुआ हैं ,उनके दोष को दूर करने के लिए माता-पिता सरस्वती मां से मन्नत मांगते हैं. मनोकामना पूरी होने पर कॉपी-किताब और पेंसिल मां के चरणों में चढ़ाते हैं. वहीं ऐसे लोग जो बोल नहीं पाते उनकी मन्नत पूरी होने पर वो माता को चांदी की जीभ चढ़ाते हैं.
दर्शन करने आते हैं कई कलाकार
देवी सरस्वती के इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है की बाल ऋषि मर्कंडेय,महाकवि कालीदास और जैन संत आचार्य हेमचंद्र सूरी महाराज जैसे तपस्वियों की भी यह साधना स्थली रहा है. फिलहाल इस मंदिर में पूजा का जिम्मा रावल ब्राह्मणों का है और सैकड़ो सालों से उन्हीं के परिवार के लोग देवी की पूजा करते आ रहे हैं. मां सरस्वती के दर्शन करने के लिए आने वालों में देश के कई मशहूर और नामी कलाकारों,कवियों और साहित्यकारों की लम्बी लिस्ट है. वैसे तो यहां साल भर ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन,बसंत पंचमी का दिन यहां विशेष होता है. इस दिन यहां मेले जैसा माहौल होता है और देवी प्रतिमा का विशेष श्रंगार किया जाता है.
(राहुल त्रिपाठी की रिपोर्ट)