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देवताओं के शहर में इस जगह होती है राक्षसी की पूजा, जानें क्‍यों होता है ऐसा

राक्षसी होने के बावजूद त्रिजटा मां में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है. त्रिजटा मां का एक मात्र प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास साक्षी विनायक मंदिर में स्थित है और साल में एक दिन ही इनकी आराधना होती है.

त्रिजटा माता का मंदिर त्रिजटा माता का मंदिर
हाइलाइट्स
  • त्रिजटा मां में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है.

  • यहां होती है साल में एक दिन राक्षसी की पूजा

अपनी मन्नतों और सुख-समृद्धि के लिए देवताओं को पूजने की परंपरा तो सदियों से चली आ रही है. लेकिन किसी राक्षसी की आराधना की बात हैरान करने वाली होगी. पूरे साल में आज का एक दिन ऐसा भी आता है जब देवताओं के शहर और धर्म की नगरी काशी मे राक्षसी त्रिजटा माता की पूजा होती है. त्रिजटा माता का यह प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ गली में साक्षी विनायक मंदिर में स्थित है. तो जानते हैं आखिर राक्षसी त्रिजटा मां की आराधना के पीछे की मान्यता और दर्शन पूजन की विधि. 

मां सीता ने दिया था वरदान

देवताओं के शहर में राक्षसी की पूजा बात चौकाने वाली भले ही हो लेकिन सच है. धर्म की नगरी काशी मे पूरे वर्ष में एक दिन मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, ऐसा भी आता है, जब देवताओं की जगह राक्षसी त्रिजटा मां की पूजा होती है. राक्षसी को पूजने के पीछे गाथा त्रिजटा माता मंदिर के पुजारी रमेश तिवारी बताते हैं कि जब लंका नरेश रावण सीता मां का हरण कर उनको अशोक वाटिका मे लाया था. तो उस दौरान राक्षसी त्रिजटा ने ही सीता जी को अपनी पुत्री की तरह माना था और उनकी रक्षा भी की थी. जब युद्ध में श्री राम के विजय के बाद सीता मां वापस अयोध्या जाने लगीं तो अपनी मां स्वरुप राक्षसी त्रिजटा को यह वरदान दिया कि कलयुग मे राक्षसी त्रिजटा को मां त्रिजटा पुकारा जाएगा. साथ ही साल में एक दिन राक्षसी त्रिजटा मां की पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं को मनोवांक्षित फल मिलेगा.

देश में इकलौता है त्रिजटा माता का यह प्राचीन मंदिर

त्रिजटा मां का एक मात्र प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास साक्षी विनायक मंदिर में स्थित है और साल में एक दिन ही इनकी आराधना होती है. पुजारी रमेश आगे बताते हैं कि त्रिजटा माता का मंदिर न केवल वाराणसी में उनके यहां इकलौता है, बल्कि देश में भी कोई और दूसरा मंदिर नहीं है. उनके यहां कई पीढियों से त्रिजटा माता की पूजा होती चली आ रही है.

लोगों में है अटूट आस्था

राक्षसी होने के बावजूद त्रिजटा मां में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है. उनका मानना है कि जिस तरह त्रिजटा ने सीता मां की अशोक वाटिका में रक्षा की थी, उसी प्रकार उनकी और उनके सुहाग की भी रक्षा करेंगी. मां को फल स्वरुप मूली और बैगन चढाने की मान्यता है. भक्तों का मानना है कि वर्ष में एक दिन मां त्रिजटा के दर्शन-पूजन मात्र से सभी दुःख-बाधाओं का नाश होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है और माता सीता की तरह ही उनकी भी रक्षा मां करेंगी.

रौशन जायसवाल की रिपोर्ट