
अयोध्या आने वाले श्रद्धालु ध्यान दें. सोमवार से राम मंदिर में दर्शन के समय में बदलाव किया गया है. प्रयागराज महाकुंभ 2025 के समापन के बाद अयोध्या में भक्तों की संख्या कम होने के कारण ऐसा किया गया है. पहले जहां प्रयागराज महाकुंभ के चलते प्रभु राम 19 घंटे राम भक्तों को दर्शन दे रहे थे, वहीं अब दर्शन अवधि को घटा दिया गया है.
इतने बजे तक बंद रहेंगे मंदिर के कपाट
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी अनिल मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ के दौरान भीड़ होने के बाद अब फिर से भक्तों की संख्या सामान्य होने पर दर्शन के समय में बदलाव किया गया है. नए दर्शन के समय के अनुसार सुबह 4:00 बजे मंगला आरती के बाद 4:15 बजे से 6:00 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे.
इतने बजे से श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन
सुबह 6:00 बजे शृंगार आरती के बाद सुबह साढ़े 6:00 बजे से 11:50 तक श्रद्धालु प्रभु श्रीराम के दर्शन कर सकेंगे. इसके बाद 10 मिनट के लिए कपाट बंद रहेंगे. दोपहर 12:00 बजे भोग आरती के बाद साढ़े 12:00 बजे तक दर्शन की व्यवस्था रहेंगी. इसके बाद दोपहर 1:00 बजे तक कपाट बंद रहेंगे.
फिर दोपहर एक से शाम 6:50 तक मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खुले रहेंगे. शाम 7:00 बजे संध्या आरती होगी और फिर रात 9:45 तक श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं. इसके बाद रात 10:00 बजे तक कपाट बंद रहेंगे और शयन आरती के बाद रात 10:15 बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे.
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते नियमों में किया गया था बदलाव
प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले अधिकतर श्रद्धालु अयोध्या राम मंदिर दर्शन करने के लिए भी आ रहे थे. इससे राम मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था. एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ के दौरान रोज तीन से चार लाख लोग रामलला के दर्शन कर रहे थे. ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर के नियमों में बदलाव किए गए थे.
दर्शन करने के समय को बढ़ा दिया गया था. इसे 19 घंटे कर दिया गया था लेकिन अब श्रद्धालुओं की संख्या समान्य होने पर दर्शन का समय पहले जैसा कर दिया गया है. महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए राम जन्मभूमि परिसर के गेट नंबर 3 को खोल दिया गया था, जिसे अब फिर से बंद कर दिया गया है. आपको मालूम हो कि पिछले डेढ़ महीने से राम मंदिर में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं को रामपथ से होते हुए राम जन्मभूमि पथ से एंट्री मिलती थी. वहीं रामलला के दर्शन करने के बाद गर्भगृह के पीछे मौजूद गेट नंबर 3 से उन्हें बाहर निकाला जाता था.