scorecardresearch

Ayodhya: सौर ऊर्जा से राम मंदिर सहित पूरा शहर होगा जगमग, मुन्ना माली के चुने फूलों से बनी माला पहनेंगे रामलला, ऐसी चल रही प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी

मुन्ना माली हनुमानगढ़ी के गेट पर फूल माला बेचते हैं. मुन्ना माली की बनाई माला भगवान राम बीते कई सालों से पहन रहे हैं. 22 जनवरी को भी मुन्ना माली के चुने हुए फूलों और उन फूलों से बनाई हुई माला को भगवान राम पहनेंगे.

Ram Mandir Ram Mandir
हाइलाइट्स
  • 22 जनवरी 2024 को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 

  • रामनगरी अयोध्या सज रही

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का समय अब पास आ गया है. 22 जनवरी 2024 रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसके लिए हर कोई अपने स्तर पर तैयारी कर रहा है. पूरे शहर को सजाया जा रहा है. मुन्ना माली के चुने फूलों से बनी माला भगवान श्रीराम पहनेंगे. आइए जानते हैं कौन हैं मुन्ना माली और अयोध्या में क्या-क्या तैयारी हो रही है?

अयोध्या को जगमगाने के लिए भगवान सूर्य की ऊर्जा का इस्तेमाल 
उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या को सोलर सिटी के तौर पर विकसित कर रही है. इसी कड़ी में अयोध्या शहर को जगमगाने के लिए एनटीपीसी 40 मेगावाट का सोलर प्लांट लगा रही है. 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के वक्त यह सोलर प्लांट 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू कर देगा और मार्च महीने में बाकी 30 मेगावाट का भी उत्पादन शुरू हो जाएगा. अयोध्या शहर की 50 फीसदी बिजली इसी सौर ऊर्जा प्लांट से सप्लाई होगी.

हनुमानगढ़ी के गेट पर फूल माला बेचते हैं मुन्ना माली
मुन्ना माली हनुमानगढ़ी के गेट पर फूल माला बेचते हैं. मुन्ना माली की बनाई माला भगवान राम बीते कई सालों से पहन रहे हैं और 22 जनवरी को भी मुन्ना माली के चुने हुए फूलों और उन फूलों से बनाई हुई माला को भगवान राम पहनेंगे. मुन्ना चौथी पीढ़ी है, जिनके दिए माला भगवान राम को पहनाई जा रही है.

मुन्ना माली का कहना है कि 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में गुलाब और गुलदाउदी की माला बनाकर दी जाएगी. इसमें 12 माला छोटी दी जाएगी और एक बड़ी माला भगवान के राम दरबार की माला होगी. जरूरत होगी, तो और भी माल बढ़ा दी जाएंगी. साल 2006 से हमें माला के लिए 300 रुपए मिलता था. अब 2100 रुपए मिलता है और बाबा के जमाने में 30 रुपए मिलता था.

रामलला की करते रहेंगे सेवा
मुन्ना माली का ये भी कहना है कि हम लोग पैसों के लिए नहीं भगवान की सेवा में लगे हैं. हमारा यही नियम है कि हम सभी दिन शाम को 5 बजे माल दे देते हैं और सुबह 5 बजे उसी मामला से भगवान का श्रृंगार और आरती होती है. हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम भगवान की सेवा कर रहे हैं. हम बाबा-दादा के जमाने से सेवा कर रहे हैं और आने वाले पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा करते रहेंगे

जगन्नाथ मंदिर, रंग महल में भी पहुंचाते हैं माला
मुन्ना माली ने बताया कि पुलिस की तरफ से राम जन्मभूमि का कार्ड बनाया गया है. पुलिस की तरह नंबर के साथ आई कार्ड जारी किया गया है. इसी आई कार्ड को दिखाकर हम मंदिर तक जाते हैं. यही हमारा ड्यूटी कार्ड है. हम रामकोट एरिया के जगन्नाथ मंदिर, रंग महल और सभी मंदिरों में भी माला पहुंचाते हैं.

भूमि पूजन के बाद से ज्यादा श्रद्धालु आने से बिक्री बढ़ी
मुन्ना का ये भी कहना है कि वह पहले दिन भर में 100 से 200 रुपए कमाते थे. मगर, भूमि पूजन के बाद से ज्यादा श्रद्धालु आने लगे हैं, तो हमारी बिक्री भी हजार से 2000 होने लगी है. मंगलवार और शनिवार को ज्यादा लोग आते हैं, तो ज्यादा बिक्री होती है. पूरे परिवार का पालन पोषण इसी फूलों की दुकान से होता है. उसके बड़े भाई भी माला की ही दुकान लगाते हैं.

अन्नू भाई की निगरानी में पहली बार मंदिर निर्माण के लिए आया था पत्थर 
अयोध्या में तीन दशक से ज्यादा की लड़ाई के बाद आखिर भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार है. प्राण प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आ रही है. लेकिन इस तारीख के लिए तमाम लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी खपा दी. उसी में एक हैं गुजरात के अनु भाई सोमपुरा. अन्नू भाई सोमपुरा वो हैं जिनकी निगरानी में ही अयोध्या में पहली बार मंदिर निर्माण के लिए पत्थर आया था. पत्थरों को तराशने का काम शुरू हुआ था. 

गुजरात से आए थे अयोध्या 
अनू भाई सोमपुरा कहते हैं वह अपने भाई और बड़े बेटे के साथ गुजरात से अयोध्या आए थे. शुरुआत में पत्थर तराशने वाले कारीगरों से चलने को कहा तो अयोध्या में अशांति के चलते उन लोगों ने आने से मना कर दिया. लेकिन अन्नू भाई अपने भाई और बेटे के साथ अयोध्या आए तो अयोध्या के ही होकर रह गए. मिर्जापुर, राजस्थान और जयपुर के कलाकारों की मदद से राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थर लोगों की श्रद्धा का केंद्र हैं. लेकिन अनु भाई सोमपुरा के लिए जीवन भर की तपस्या है. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा करेंगे उसकी नींव में 1990 में आए पत्थरों की वह पहली लॉट भी है जो अनु भाई के आंखों के सामने आई थी.