रंभा तृतीया हर साल की वो पवित्र तिथि है. जब कुवांरी कन्याएं मन चाहा वर पाने के लिए व्रत रखती है. इस बार रंभा तृतीया का व्रत 2 जून को रखा जाएगा. रंभा तृतीया व्रत को रंभा तीज के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक रंभा अप्सरा भी थी. रंभा ने यह व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया था. सुहागिनें पति की लंबी आयु के लिए ये व्रत करती हैं. इस व्रत से बुद्धिमान संतान की प्राप्ति भी होती है.
रंभा तीज का शुभ संयोग-
रंभा तृतीया का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. रंभा तीज का व्रत इस बार तीन तीन शुभ सयोग लेकर आया है.
रंभा तीज की पूजा विधि-
इस व्रत को अप्सरा रंभा ने महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया था. इस व्रत को करने से शिव-पार्वती और देवी लक्ष्मी तीनों की कृपा मिलती है. सुहागिन महिलायें इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करके विशेष फल प्राप्त करती है. रंभा तीज के अवसर पर आपको कैसे भगवान शिव माता गौरी और लक्ष्मी की पूजा करनी है. जान लीजिए...
रंभा तीज के दिन विधिपूर्वक पूजा पाठ करने से जीवन में खुशहाली आती है और दांपत्य जीवन भी अच्छा बना रहता है. यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन स्त्रियां रखती हैं. वहीं, कुवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं. मान्यता है कि इस दिन सोलह श्रृंगार की वस्तुओं का दान करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. रिश्तों में कड़वाहट कम होती है और प्रेम बढ़ता है.
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