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Ramadan 2022: शुरू होने वाला है पाक महीना रमज़ान, जानें सहरी और इफ्तार की टाइमिंग

रमजान (Ramadan) का महीना शुरू होने को है और हर तरफ इसकी तैयारियां देखने को मिल रही हैं. मुस्लिम समुदाय में रमजान के दिन साल के सबसे महत्वपूर्ण दिन माने जाते हैं. एक महीने रोजे रखने पर व्रत खोलते वक्त इफ्तार (Iftar) खाया जाता है.

Iftar Iftar
हाइलाइट्स
  • रमज़ान में दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं.

  • इसमें रोज़ा रखने घंटे अलग-अलग हो सकते हैं

Ramadan 2022:  भारत में रमजान 2022 (Ramadan 2022 Date) 2 अप्रैल 2022 शनिवार से शुरू हो रहे हैं. अगर शनिवार को चांद दिख जाता है, तो रविवार यानी 3 अप्रैल को पहला रोजा होगा इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक रमज़ान साल का नौंवा महीना होता है. इस पूरे महीने मुस्लमान रोजा रखते हैं, और शाम को सूर्यास्त के बाद उसे तोड़ा जाता है. बता दें कि चांद के मुताबिक 2 मई के दिन ईद (Eid) मनाई जाएगी. आमतौर पर रमज़ान का महीना 29 से 30 दिन के बीच होता है और ईद के जश्न के साथ खत्म होता है. 

इस पाक महीने में सुबह सहरी और शाम को रोज़ा ( व्रत)  खोलते वक्त इफ्तार (Iftar) खाया जाता है. बतातें चलें कि रमज़ान के महीने में ही अल्लाह ने प्रोफेट मोहम्मद पर कूरान-पाक नाजिल किया था. इसलिए ये महीना बेहद ही खास माना गया है. 

रमज़ान में दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं. इसमें रोज़ा रखने ( व्रत के)  घंटे अलग-अलग हो सकते हैं. जैसे न्यूजीलेंड में 11 घंटे के करीब रोज़ा रखा जाना है तो वहीं नॉर्वे और आइलैंड जैसे देशों में रोजे का समय 20 घंटे बताया जा रहा है. इसी तरह ओस्लो और हेलसिंकी में 20 घंटे, बर्लिन में 19, ओटावा में 17, लंदन में 18.5, मॉस्को, सोफिया, काबुल, पेरिस और रॉम में 17 घंटे, बीजिंग में 18.5, टोक्यो में 16 और इस्लामाबाद में भी रोज़े के 16 घंटे माने जा रहे हैं. नई दिल्ली में रोज़े का समय तकरीबन 15 घंटे हो सकता है. 

UAE में  पहले रमज़ान को सहरी की टाइमिंग सुबह 4 बजकर 49 मिनट पर होगी, और इफ्तार 6 बजकर 37 मिनट पर होगी. रमजान की तारीख बढ़ने के साथ ये टाइमिंग भी घटती -बढ़ती है. वहीं भारत में सुबह सहरी  04:17 मिनट पर होगी और इफ्तार 6:58 पर होगी. 

ऐसे शुरू हुई रोज़ा रखने की परंपरा

मान्यता के मुताबिक इस्लाम में रोज़ा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई है. कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में बताया गया है कि रोज़ा तुम पर ( सभी मुस्लमानों पर )  उसी तरह से फर्ज किया जाता है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था. मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत (प्रवासन) कर मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोज़ा रखने का हुक्म आया. इस तरह से दूसरी हिजरी में रोज़ा रखने की  परंपरा है. ईसाई, यहूदी और हिंदू समुदाय में अपने-अपने तरीके से रोजा (उपवास) रखे जाते हैं. ई

किसे है रोज़ा रखने की छूट

इस्लाम के मानने वाले हर बालिग पर रोज़ा  फर्ज है, हदीस के मुताबिक 12 साल की उम्र वाला हर मुसलमान लड़का हो या लड़की सभी को राज़ा रखना फर्ज बताया गया है.  केवल उन्हें छूट दी गई है जो बीमार हैं या यात्रा पर हैं. इसके अलावा जो औरतें  प्रेग्नेंट हैं या फिर पीरियड्स से हैं और साथ ही बच्चों को रोजा रखने से छूट दी गई है. हालांकि, पीरियड्स के दौरान जितने रोजे छूटेंगे, उतने ही रोजे उन्हें बाद में रखने होते हैं. वहीं, बीमारी के दौरान रोजा रखने की छूट है. इसके बावजूद अगर कोई बीमार रहते हुए रोजा रखता है तो उसे अपनी जांच के ब्लड देना या फिर या फिर इंजेक्शन लगवाने की छूट है, लेकिन रोजे की हालत में दवा खाने की मनाही की गई है. ऐसे में सहरी और इफ्तार के समय दवा लें.