मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. त्रेता युग में इसी तिथि को रघुकुल नंदन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाह माता जानकी के साथ संपन्न हुआ था. सनातन संस्कृति के अनुरूप धर्मनगरी अयोध्या में आज भी यह परंपरा उसी तरह निभाई जा रही है.
क्या है धार्मिक मान्यता?
धार्मिक मान्यतानुसार, मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था. इसमें शामिल होने के लिए अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम भी मिथिला पहुंचे थे. यहां उन्होंने शिव धनुष को तोड़कर माता सीता के गले में वरमाला डाल दी थी. फिर विवाह का संदेश अयोध्या जाता है फिर महाराज दशरथ बारात लेकर मिथिला आते हैं. जिस दिन भगवान राम और माता सीता ने सात फेरे लिए थे वो दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी का होता है.
विवाह कराने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं
कहा जाता है कि इस दिन जो कोई भी व्यक्ति मां सीता और प्रभु श्री राम का विवाह कराता है, उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है. वैवाहिक जीवन मांगल्य सुख को प्रदान करता है. यदि किसी जातक की कुण्डली में विवाह के सुख का अभाव दिखाई देता है तो उसे श्री राम सीता विवाह पंचमी के दिन श्री राम और सीता जी के समक्ष घी का दीपक जला कर उनसे अपने दांपत्य जीवन के सुख की कामना करनी चाहिए.