रांची के चुटिया में स्थित प्राचीनतम राम मंदिर कई पौराणिक मान्यताओं को समेटे है. यहां के लोग भी इस जगह को अयोध्या की तरह ही राम द्वारा बसाए गए गांव के रूप में मानते हैं. यहां एक मंदिर है जो 1685 में बनाया गया था. इस मंदिर कि मान्यता है कि राम के कदम यहां उस वक्त पड़े थे जब वे वनवास के लिए जा रहे थे. ऐसे में 1990 और 1992 में यहां के लोगों ने तमाम परेशानियां झेलकर राम का आदेश मानते हुए कारसेवा की थी. यहां के लोग रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर इतने उत्साहित हैं जैसे 22 जनवरी को खुद श्रीराम यहां पधार रहे हैं.
मंदिर में है चरण पादुका
इस मंदिर में राम लला की चरण पादुका स्थापित है. मान्यता है कि वनवास के लिए जाते वक्त वो यहां आए थे. यानी उनके चरण यहां पड़े थे. अब जब देश में माहौल राममय है और ‘राम आएंगे’ की धुन बज रही है. लोगों का मानना है कि यहां भी राम के चरण पड़े थे. अब एक बार फिर से 22 जनवरी को राम यहां भी वापस लौट कर आ रहे हैं. वीएचपी के उपाध्यक्ष गंगा यादव ने बताया कि उन्होंने कोलकाता के कोठरी बंधु को अपने आंखों के सामने गोली खाते देखा था.
भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं
गिरधारी महतो और सतीश के खुशी का भी ठिकाना नहीं है. उनका कहना है कि उनका त्याग और तपस्या अब फलीभूत हुआ है. न जाने कितने पुण्य किए होंगे इस जन्म में कि मेहनत का फल आंखो के सामने दिख रहा है. उन्होंने बताया कि कैसे वो लोग छुपते-छुपाते चुनारगढ़ पहुंचे थे. उसके बाद खुफिया तरीके से खेत-खलिहान से होकर लगभग 250 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही पूरी की थी और भगवान राम के धाम अयोध्या पहुंचे थे. उस दौरान उन्होंने लाठियां भी खाईं, हड्डियां भी तोड़ी गईं लेकिन न तो वे झुके और न ही थके।
वहीं वीरेंद्र विमल बताते हैं कि ये सुखद अनुभूति है. उनका कहना है कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. वे साक्षात प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले हैं. उन्हें झारखंड बिहार के 20 संतो के साथ पहुंचना है जिसका रजिस्ट्रेशन हो चुका है.
प्राण प्रतिष्ठा पर राम के चरण पड़ने वाले इस मंदिर में भी दीपमाला और सुंदरकांड समेत रामायण का आयोजन होने वाला है. यहां 1000 से ज्यादा दीपक जलाए जाएंगे. कारसेवक तो अभी से ही जय श्रीराम का नारा लगा रहे है और फरवरी में आए बुलावे का इंतजार भी कर रहे हैं।
(सत्यजीत कुमार की रिपोर्ट)