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Rang Panchami 2024: होली के पांच दिन बाद मनाई जाती है रंग पंचमी, देवी-देवताओं को रंग-गुलाल अर्पित करने से जीवन में आती खुशहाली, जानिए पूजा विधि और इस पर्व का महत्व

Rang Panchami Shubh Muhurat: धार्मिक मान्यात के अनुसार रंग पंचमी के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. इस दिन मां राधा और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद उन्हें अबीर-गुलाल अर्पित करने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं. प्रेम संबंध मजबूत होते हैं.

Rang Panchami (file photo PTI) Rang Panchami (file photo PTI)
हाइलाइट्स
  • राधा रानी और भगवान कृष्ण ने रंग पंचमी के दिन ही रचाई थी रंगों की रासलीला 

  • रंग पंचमी को कृष्ण पंचमी, श्रीपंचमी और देव पंचमी के नाम से भी है जाना जाता 

हिंदू धर्म में हर पर्व का विशेष महत्व होता है. होली के आने का तो बच्चे हों या बूढ़े सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं. होली के पांच दिनों के बाद चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पंचमी तिथि पर रंग पंचमी (Rang Panchami) मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आकर होली खेलते हैं.

कृष्ण पंचमी, श्रीपंचमी और देव पंचमी के नाम से भी रंग पंचमी को जाना जाता है. इस दिन देवी-देवताओं को रंग-गुलाल अर्पित करने से जीवन में खुशहाली आती है. इस दिन राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण के अलावा माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु पूजा-अर्चना की जाती है.

बन रहे कई शुभ योग
रंग पंचमी का त्योहार 30 मार्च 2024 को सुबह 7 बजकर 46 मिनट से मनाया जाएगा. 09 बजकर 19 मिनट तक इस पर्व को मनाने के लिए शुभ मुहूर्त है. इस बार रंग पंचमी के दिन कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं. इस दौरान भगवान की आराधना करने से भक्त के सारे कष्ट और दूख दूर हो जाते हैं. इस दिन सिद्धि योग बन रहा है.

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यह शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. इसके बाद व्यतिपात योग बन रहा है. शिव वास योग भी बन रहा है. शिव वास योग भगवान शंकर शाम में 9:13 बजे नदी में विराजमान रहेंगे. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के नदी पर विराजमान रहने के दौरान पूजा करने से विशेष कार्य में सफलता भी प्राप्त होती है. रंग पंचमी पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है. रवि योग में पूजा या पर्व मनाने से कई फलों की प्राप्ति होती है. 

पूजा विधि
1. रंगपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
2. फिर पूजा घर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी बिछाएं. 
3. इस चौकी पर भगवान राधा-कृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा घर के उत्तर दिशा में स्थापित करें. 
4. भगवान की तस्वीर के पास ही तांबे के कलश को पानी से भरकर रख लें. 
5. इसके बाद मां राधा और भगवान कृष्ण को कुंकम से तिलक लगाएं और फूल माला पहनाएं.
6. फिर देवी-देवताओं को रंग-गुलाल अर्पित करें. 
7. गाय के घी का दीपक जलाएं. अंत में आरती करें.फिर आसन पर बैठकर मंत्रों का जाप करें.
8. कलश में रखे जल को घर के हर कोने में छिड़कें. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. 

इस दिन पूजा-अर्चना करने से धन-संपत्ति में होती है वृद्धि
धार्मिक मान्यात के अनुसार रंग पंचमी के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. इस दिन मां राधा और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद उन्हें गुलाल अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं. प्रेम संबंध मजबूत होते हैं. इस दिन एक पीले कपड़े में एक सिक्का और हल्दी की पांच गांठें बांधकर पूजा स्थल पर रख दें. फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करके एक घी का दीपक जलाएं. दीपक के शांत होने पर हल्दी और सिक्के की पोटली को तिजोरी में रखें. मान्यता है कि ऐसा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है.

क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी 
रंग पंचमी मनाने को लेकर कई कथा प्रचलित है. पहली कथा के अनुसार राधा रानी और भगवान कृष्ण ने रंग पंचमी के दिन ही एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर रंगों की रासलीला की थी. उस समय सभी देवी-देवता भी इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए पृथ्वी लोक पर आए तो दोनों ने उन्हें भी अबीर-गुलाल लगाया. पंचमी तिथि होने के कारण ही इस दिन को रंग पंचमी के रूप में याद किया गया. दूसरी कथा के अनुसार होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था.

इसके बाद देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित करने का आश्वासन दिया. इसके बाद सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे,वह दिन चैत्र कृष्ण पंचमी का था. तभी से रंगपंचमी का त्योहार इस तिथि को मनाया जाने लगा. मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में उड़ने वाला अबीर-गुलाल व्यक्ति के सात्विक गुणों को बढ़ाते हैं. साथ ही तामसिक और राजसिक गुण नष्ट हो जाते हैं, इसलिए इस दिन शरीर पर रंग लगाने की बजाय वातावरण में रंग फैलाया जाता है. इस पर्व को बुरी शक्तियों पर विजय का दिन भी कहा जाता है.