

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक सबसे सरल और सुलभ उपाय माना गया है. महाशिवरात्रि, सावन और प्रदोष की तिथियां रुद्राभिषेक के लिए सबसे मंगलकारी मानी गई हैं. इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
शिव का रुद्राभिषेक-
शिव का रुद्राभिषेक करने के लिए सही समय और स्थान का ध्यान रखना आवश्यक है. आदिदेव शिव को अभिषेक अति प्रिय है, लेकिन इसके लिए सही समय का ध्यान रखना भी जरूरी है. कुछ तिथियां और समय ऐसे होते हैं, जब रुद्राभिषेक करना अति मंगलकारी माना गया है. महाशिवरात्रि, सावन और प्रदोष की तिथियां रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ मानी गई हैं.
शिववास का महत्व-
संकल्पित रुद्राभिषेक के लिए शिववास अर्थात शिवजी का निवास देखा जाना चाहिए. धर्मग्रंथों के अनुसार शिवजी का निवास पूरे महीने के साथ-साथ अलग-अलग जगहों पर होता है. निष्काम पूजा के लिए महाशिवरात्रि, श्रावण और प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक किया जा सकता है.
शुभ तिथियां और समय-
शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि, पंचमी तिथि, षष्ठी तिथि, नवमी तिथि, द्वादशी और त्रयोदशी तिथियां तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी तिथियां रुद्राभिषेक के लिए शुभ फलदायी मानी गई हैं. शिवरात्रि, प्रदोष और सावन के सोमवार को रुद्राभिषेक करना हमेशा मंगलकारी होता है. सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंगों के क्षेत्र में भी शिव के निवास का विचार करने की जरूरत नहीं होती.
रुद्राभिषेक का महत्व-
रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है. रुद्राभिषेक करने वाले भक्तों की प्रार्थना से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान मिलता है. इसीलिए रुद्राभिषेक को भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल और सुलभ उपाय माना गया है.