उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मंडी समिति रोड पर प्राचीन सिद्ध पीठ गोटेश्वर महादेव मंदिर कैंपस के एक पुराने कुएं की साफ-सफाई की गई तो उसमें से कई मूर्तियां और शिलालेख मिले. कुएं से करीब 300 साल पुराना एक शंख भी मिला है. मंदिर के अध्यक्ष ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी को दी. जिलाधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम को भेजकर जांच कराई. रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधिकारी ने कुएं की साफ-सफाई पर रोक लगा दी है. प्राचीन मूर्तियों को नुकसान ना हो, इसलिए कुएं की खुदाई रोक दी गई है. इसके साथ ही इन मूर्तियों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात कर दी गई है.
300 साल पुराना शंख मिला-
मंदिर की साफ-सफाई का काम चल रहा था. इस दौरान मंदिर परिसर में एक कुएं की सफाई की जा रही थी. उसमें कुछ खंडित मूर्तियां दिखाई दीं. इसमें एक बहुत पुराना शंख भी मिला है. यह शंख काफी भारी है. बताया जा रहा है कि ये 300 साल पुराना हो सकता है. इस कुएं से शिवलिंग, नंदी महाराज, पार्वती, हनुमान और कार्तिकेय की मूर्तियां मिली हैं.
ASI की की टीम करेगी जांच-
सिटी मजिस्ट्रेट गजेंद्र कुमार ने बताया कि कुएं की खुदाई में से कुछ मूर्तियां निकली हैं. इन मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है. इसको लेकर रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है. सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि मूर्तियों को कोई नुकसान ना पहुंचे. इसलिए प्रशासन चाहता है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से इसकी खुदाई कराई जाए, ताकि देश के धरोहर को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि इसके बारे में ज्यादा जानकारी एएसआई की टीम ही दे सकती है.
मंदिर में मराठा कालीन कुआं-
सिद्ध पीठ गोटेश्वर महादेव मंदिर के महामंत्री और अध्यक्ष ने बताया कि करीब 3 साल से इस मंदिर की साफ-सफाई और मेंटनेंस कर रहे हैं. इसके साथ ही पूजा-पाठ भी करते हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर के बाहर एक मराठा कालीन कुआं है. हम लोगों को लगा कि इसमें पानी होगा. इसलिए हमने इसकी खुदाई करवाई. जब इसकी खुदाई की गई तो इसमें से प्राचीन मूर्तियां निकली. सर्वे के बाद ही पता चल पाएगा कि ये मूर्तियां कितनी पुरानी हैं.
काफी पुराना है मंदिर-
यह मंदिर मराठा कालीन है. इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था. इसका जिक्र राजस्व अभिलेखों में भी मिलता है. यह मंदिर पिछले 35 सालों से बंद पड़ा था. लेकिन साल 2020 में हिंदू संगठनों की मांग के बाद जिला प्रशासन ने मंदिर खोला था. हिंदू संगठनों ने मंदिर की साफ-सफाई की और नई मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की. उसके बाद हमेशा इस मंदिर में पूजा-अर्चना होती रहती है.
(सहारनपुर से राहुल कुमार की रिपोर्ट)
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