सत्यनारायण भगवान के व्रत को कलियुग के सबसे कल्याणकारी व्रत माना जाता है. ये एक ऐसी पूजा है जिसके बारे में भगवान विष्णु ने नारद से कहा था कि सत्य ही ईश्वर है. सत्य का आचरण मतलब ईश्वर की अराधना. सत्यनारायण व्रत कथा के बारे में मान्यता है कि शौनकादि ऋषि ने महर्षि सूत से कष्ट मुक्ति और सुख समृद्धि के लिए सरल उपाय को जानना चाहा था. यही प्रश्न नारद मुनि ने भगवान विष्णु से भी किया था, उसी कथा को सुनाते हुए महर्षि ने बताया कि भगवान विष्णु ने नारद मुनि को सांसारिक दुखों से मुक्ति का सरल उपाय बताया- सत्यनारायण व्रत. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके इंसान अपने तमाम दुखों से मुक्ति पा सकता है.
सत्यनारायण भगवान की महिमा
आमतौर पर लोग कोई मन्नत पूरी होने पर सत्यनारायण की कथा और व्रत का आयोजन करते हैं. लेकिन जीवन में सुख, शांति और संपन्नता के लिए भी सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है. सत्यनारायण भगवान की महिमा की बात करें तो भगवान सत्यनारायण विष्णु भगवान का ही एक रूप हैं. भगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है. स्कन्द पुराण में भगवान विष्णु ने नारद को इस व्रत का महत्व बताया है. कलयुग में सबसे सरल, प्रचलित और प्रभावशाली पूजा भगवान सत्यनारायण की ही मानी जाती है.
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं. पहले व्रत-पूजन और दूसरा सत्यनारायण की कथा. हर पूजा और उपासना का एक उत्तम मुहूर्त होता है. जिसमें की गई उपासना का बहुत उत्तम फल मिलता है.
सत्यनारायण भगवान की पूजा का उत्तम मुहूर्त
तो आइए हम आपको बताते हैं कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का सबसे अच्छा समय कब होता है. सत्यनारायण की पूजा का उत्तम मुहूर्त-
- किसी भी माह की पूर्णिमा को
- किसी भी बृहस्पतिवार को
- किसी भी बड़े संकट के आने पर इनकी पूजा सबसे उत्तम होगी
सत्यनारायण पूजा के लाभ
- गृह शान्ति और सुख समृद्धि के लिए
- शीघ्र विवाह के लिए और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए
- संतान के जन्म लेने के अवसर पर, और संतान सम्बन्धी अनुष्ठान पर
- विवाह के पूर्व और पश्चात् यह पूजा अत्यंत शुभ होती है
- आयु रक्षा तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के लिए
सत्यनारायण पूजन सामग्री
- इनकी पूजा कम से कम सामान और अत्यंत सरल तरीके से कि जा सकती है
- इनकी पूजा में गौरी गणेश नवग्रह और समस्त दिक्पाल भी शामिल हो जाते हैं
- इनकी पूजा का सर्वश्रेष्ट स्थान है केले का पेड़ या घर का ब्रह्म स्थान
- इनकी पूजा में श्री शालिग्राम का विग्रह आवश्यक है
- पंजीरी, पंचामृत, फल और तुलसी दल अती महत्वपूर्ण है
कैसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा?
- घर के ब्रह्म स्थान पर केले के पौधों से मंडप बनाएं
- भगवान सत्यनारायण के विग्रह या चित्र की स्थापना करें
- कलश और दीपक की भी स्थापना करें
- पहले गौरी गणेश और नवग्रहों का पूजन करें
- सत्यनारायण भगवान को फल, पंचामृत, पंजीरी, वस्त्र और तुलसी दल जरूर अर्पित करें
- फिर उनकी व्रत कथा कहें या सुनें और आरती करें
-इसके बाद फल और प्रसाद बांटें.