सावन का पावन महीना शुरू हो गया है. भगवान शिव को ये माह बेहद प्रिय है. इस महीने में शिव भक्त भगवान भोले की कृपा पाने के लिए कांवड़ लेकर यात्रा करते हैं.कहते हैं कि सावन में जलाभिषेक करने पर पूरे साल के पुण्य की प्राप्ति होती है. इस बार का सावन इसलिए और भी खास है कि पूरे 19 साल बाद शुभ संयोग बना है. इस बार सावन के महीने की खास बात ये है कि इस साल एक नहीं बल्कि दो सावन हैं. 4 जुलाई से शुरू हुआ सावन का महीना पूरे 2 महीने बाद 30 अगस्त को खत्म होगा.
कांवड़ यात्रा के दौरान कई सारी चीजों की मनाही है. इस दौरान कांवड़ यात्रियों को कई चीजों से परहेज करना चाहिए. आइये जानते है कांवड़ यात्रा के दौरान क्या कुछ सावधानियां रखनी चाहिए.
1. कांवड़ यात्रा हमेशा पैदल ही करनी चाहिए.
2. कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ को भूलकर भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए. हमेशा कांवड़ को किसी पेड़ या डंडे के सहारे लटकाना चाहिए.
3. कांवड़ यात्रा एक पवित्र यात्रा है इसलिए इस पूरे यात्रा के दौरान शुद्ध और सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
4. यात्रियों को कांवड़ को गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए.
5. कांवड़ यात्रा नंगे पैर ही करना चाहिए.
वहीं कांवड़ भी कई तरह की होती है. आइए जानते हैं कि कांवड़ कितने प्रकार के होते हैं.
1. सबसे पहले आती है खड़ी कांवड़, जिसके नियम सबसे कठिन होते हैं. इसमें भक्त कंधे पर कांवड़ रखकर पैदल गंगाजल लेने जाते हैं. खड़ी कांवड़ को न तो जमीन पर रखा जाता है और ना ही टांगा जा सकता है. यानी आराम करते वक्त भी कांवड़ को किसी दूसरे शिव भक्त के कंधे पर रखा जाता है.
2. फिर आती है डाक कांवड़. डाक कांवड़ में भक्त शिव के जलाभिषेक तक रुकते नहीं हैं. इस कांवड़ में गाड़ी में शिव की प्रतिमा को सजाकर रखा जाता है और शिव का शृंगार किया जाता है.
फिर शिव भक्त नाचते गाते कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. डाक कांवड़ का आकर्षण किसी झांकी से कम नहीं होता है.
3. अब बात आती है दांडी कांवड़ की, जिसमें शिव भक्त नदी किनारे से शिवधाम की यात्रा दंड देते हुए करते हैं. इस कांवड़ यात्रा को पूरा करने में करीब एक महीने का वक्त लगता है.