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Sheetala Ashtami 2022 : कब है शीतला अष्टमी...मां शीतला का ये अराधना मंत्र आपको दिलाएगा सभी रोगों से मुक्ति

भगवती शीतला की पूजा-अर्चना का विधान भी अनोखा होता है. शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं. अष्टमी के दिन बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में चढ़ाए जाते हैं. मान्यता के अनुसार आज भी अष्टमी के दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है.

Mata Sheetla Vrat, Puja Vidhi Mata Sheetla Vrat, Puja Vidhi
हाइलाइट्स
  • शीतला अष्टमी की पूजा शरीर को बनाती है निरोगी

  • खाया जाता है बासी पकवान

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं को अलग-अलग रूप में पूजा जाता है. मां शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष यह पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा. शीतला अष्टमी की पूजा-व्रत शरीर को निरोगी बनाने के लिए की जाती है. 

क्यों मनाई जाती है शीतला अष्टमी
भगवती शीतला की पूजा-अर्चना का विधान भी अनोखा होता है. शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं. अष्टमी के दिन बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में चढ़ाए जाते हैं. मान्यता के अनुसार आज भी अष्टमी के दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है. घर के सभी लोग बासी भोजन खाकर ही इसे मनाते हैं. एक मान्यता यह भी है कि शीतला अष्टमी के बाद से बसंत की विदाई होती है और गर्मियां शुरू हो जाती हैं, यानी इस दिन से हमें बासी भोजन से परहेज करना चाहिए. कहा जाता है कि माता शीतला चेचक, खसरा और हैजा जैसी संक्रामक बीमारियों से हमें बचाती हैं.

क्या है शुभ मुहूर्त?
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ-25 मार्च 2022, शुक्रवार रात 12:09 बजे से 
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त-25 मार्च 2022, शुक्रवार रात 10:04 ऱात को

कैसे करें पूजा?
शीतला माता के पूजन के बाद उस जल से आंखें धोई जाती हैं क्योंकि मान्यता है कि गर्मियों में आंखों का ध्यान रखना चाहिए. माता का पूजन करने के बाद हल्दी का तिलक लगाया जाता है, घरों के मुख्यद्वार पर सुख-शांति एवं मंगल कामना हेतु हल्दी के स्वास्तिक बनाया जाते हैं. हल्दी का पीला रंग मन को प्रसन्नता देकर सकारात्मकता को बढ़ाता है और वास्तु दोषों का निवारण होता है.

मां की उपासना मंत्र
स्कंद पुराण में वर्णित मां का यह पौराणिक मंत्र 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः' भी प्राणियों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाकर समाज में मान सम्मान पद एवं गरिमा की वृद्धि कराता है. जो भी भक्त शीतला मां की भक्तिभाव से आराधना करते हैं उन पर मां की विशेष कृपा होती है. दूसरा मंत्र है- शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः  अर्थात- हे माँ शीतला ! आप ही इस संसार की आदि माता हैं, आप ही पिता हैं और आप ही इस चराचर जगत को धारण करतीं हैं अतः आप को बारम्बार नमस्कार है.