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Dwarka Nagri: किन कारणों से समुद्र में समा गई थी भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी? जानिए कहानी 

Dwarka Nagri Story: कान्हा की नगरी द्वारका की आज भी समुद्र में अवशेष मिलते हैं. कहा जाता है कौरवों की माता गांधारी और ऋषियों के श्राप के कारण यह नगरी तहस-नहस हो गई और समुद्र में समा गई.

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हाइलाइट्स
  • महाभारत के 36 वर्ष बाद द्वारका नगरी डूब गई थी समुद्र में 

  • नगरी के पिलर और अवशेष आज भी मिलते रहते हैं

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका धाम को कहते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा-वृंदावन को छोड़ने के बाद गुजरात में समुद्र तट पर इस नगर का स्थापित किया था. श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के समुद्र में समाने को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. आइए जानते हैं.

मथुरा को छोड़कर चले गए थे भगवान कृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण जरासंध के अत्याचारों को रोकने के लिए मथुरा को छोड़कर चले गए थे. गुजरात में समुद्र किनारे दिव्य नगरी बसाई. इसका नाम द्वारका रखा गया.ऐसी मान्यता है कि महाभारत के 36 वर्ष बाद द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई थी.श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रीकृष्ण के पूरे जीवन और उनके गोलोकगमन की कहानी मिलती है. इसमें द्वारका का भी जिक्र है.

गांधारी ने दिया था श्राप
पांडवों की महाभारत के युद्ध में जीत मिलने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को राजगद्दी पर बैठाने के बाद कौरवों की माता गांधारी से मिलने पहुंचे. कृष्ण को देख गांधारी पहले तो खूब रोईं इसके बाद भगवान को युद्ध का दोषी मानते हुए श्राप दिया कि यदि मैंने अपने आराध्य की सच्चे मन से आराधना की है और मैंने अपना पत्नीव्रता धर्म निभाया है तो जो जिस तरह मेरे कुल का नाश हुआ है, उसी तरह तुम्हारे कुल का नाश भी तुम्हारी आंखों के सामने होगा. कहा जाता है कि इस श्राप की वजह से द्वारका नगरी पानी में समा गई थी.

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ऋषियों ने पूरे यदुवंश का नाश होने का दिया था श्राप
दूसरी कहानी यह है कि श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने ऋषियों का अपमान किया था. इस वजह से ऋषियों ने श्राप दिया था. कहा जाता है कि महर्षि विश्वामित्र, देव ऋषि नारद और कण्व एक बार द्वारका गए थे. उस समय यादव वंश के कुछ लड़के ऋषियों के साथ उपहास करने के उद्देश्य से सांब को महिला के वेश में ले गए. ऋषियों के सामने ले जाकर पूछा कि यह स्त्री गर्भवती है.आप इसके गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में बताइए कि क्या जन्म लेगा? ऋषियों ने अपना अपमान होता देख श्राप दिया कि इसके गर्भ से मुसल उत्पन्न होगा और उससे समस्त यदुवंशी कुल का विनाश होगा. 

पौराणिक कहानियों के अनुसार इसके सभी यदुवंशी आपस में लड़-लड़कर मरने लगे थे.बलराम ने भी अपना शरीर त्याग दिया था. श्रीकृष्ण पर किसी शिकारी ने हिरण समझकर बाण चला दिया था, जिससे भगवान श्रीकृष्ण देवलोक चले गए. उधर, जब पांडवों को द्वारका में हुई अनहोनी का पता चला तो अर्जुन तुरंत द्वारका गए और श्रीकृष्ण के बचे हुए परिजनों को अपने साथ इंद्रप्रस्थ लेकर चले गए.जैसे ही उन लोगों ने नगर छोड़ा द्वारका का राजमहल और नगरी समुद्र में समा गई. उसी नगरी के पिलर और अवशेषों के बारे में समुद्र से जुड़ी अलग-अलग रिसर्च के दौरान जानकारी मिलती रहती है.