
मुंबई के जाने-माने और प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने मंदिर को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है जिसके तहत सिद्धिविनायक मंदिर का प्रसाद और प्लास्टिक के पैकेट में के बजाय कागज के पैकेट में भक्तों को मिलेगा. अभी तक सिद्धिविनायक मंदिर में मिलने वाला प्रसाद को 'सिंगल यूज' प्लास्टिक पैक किया जाता था.
सिंगल यूज प्लास्टिक दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत के लिए बड़ी समस्या है. जल, जमीन और हवा को दूषित करने में सिंगल यूज प्लास्टिक से निकलने वाले कचरे की बड़ी भूमिका है. सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब प्लास्टिक से बनी ऐसी चीजों से है, जिसका सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल हो सकता है.
रिसायकल यानी दोबारा इस्तेमाल नहीं होने की स्थिति में हम इन्हें खुले में फेंक देते हैं और जब बात सनातन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक सिद्धिविनायक मंदिर की हो तो ये चिन्ता और बडी हो जाती है. क्योंकि यहां हर दिन बप्पा के हजारों भक्त आते हैं. जिनके लिए प्रसाद के तौर पर सैकड़ों किलो लड्डू और नारियल की बर्फी तैयार होती है. ऐसे में प्लास्टिक की जगह कागज की पैकिंग में प्रसाद पर्यावरण के लिहाज से सही फैसला है
खराब नहीं होगा प्रसाद
कागज की पैकेट में होने के बावजूद प्रसाद खराब नहीं होगा...पहले की तरह पैकिंग से 5 दिनों तक प्रसाद को ग्रहण किया जा सकता है. सिद्धिविनायक मंदिर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के संकल्प की दिशा में ये पहला कदम है. मंदिर में एक दिन में करीब 70000 पैकेट प्रसाद- 50000 लड्डू के पैकेट और 20000 नारियल की बर्फी के पैकेट भक्तों के लिए तैयार होते हैं, जिनकी पैकिंग अब कागज के पैकेट में की जाएगी. यह पर्यावरण को बचाने मे काफी मददगार साबित होगा
श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट की कोशिश है कि सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर मौजूद दुकानों फूलों और पूजा सामग्री को प्लास्टिक बैग में देने के चलन पर भी रोक लगे. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में सिद्धिविनायक को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए और भी कुछ अहम फैसले लेने की संभावना है.
सैकड़ों साल पहले बना मंदिर
ऐसा मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी के दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण विट्ठु और देउबाई पाटिल ने साल 1801 में कराया था. इस मंदिर में भगवान श्रीगणेश के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है.