अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) के लिए 11 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे. ऐसे में जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से तैयारियां जोरों पर हैं. रास्ते में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए विषेश घर बनाए जा रहे हैं. इनमें एक बार में लगभग दो से तीन हजार लोग ठहर सकते हैं.
कहां-कहां घर बनाए जाने की तैयारी
निवास का काम पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम जारी है. इसके लिए रामबन जिले में चंद्रकोट में 3200 की क्षमता, श्रीनगर में पंथा चौक के पास 2250 क्षमता और जम्मू में 3000 लोगों के रहने की क्षमता के साथ निवास तैयार किए जा रहे हैं.
रास्तों में विशेष घर होने के फायदे
दरअसल, इन घरों का सहारा किसी भी परेशानी के दौरान लिया जाएगा. खराब मौसम, तबीयत खराब और ड्राइवरों के आराम के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा. इसका मकसद है कि आधे में मौसम की वजह से यात्रा को रोका नहीं जएगा. सभी यात्रियों को इन निवासों में भेज दिया जाएगा और मौसम के साफ होते ही एक बार फिर यात्रा शरू की जाएगी.
रास्तों पर होगा RFID का कड़ा पहरा
प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए एक आरएफआईडी सिस्टम शुरू करने की योजना बनाई है, जिससे हर किसी की आवाजाही पर नजर रखी जा सके. रास्ते में अर्धसैनिक बलों की 60 कंपनियां तैनात की जाएगी, जिसमें दो महिलाओं की कंपनी भी शामिल होगी. वहीं, स्वास्थ देखभाल के लिए जगह-जगह पर शिविर लगाए जाएंगे, जिससे यात्रियों की सेहत बिगड़ने पर समय पर इलाज मिल सके.
30 जून से शुरू हो रही है अमरनाथ यात्रा
इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है. ये यात्रा 43 दिन तक चलने वाली है. परंपरा के मुताबिक रक्षा बंधन के दिन ही समाप्त होगी. इस साल करीब 43 दिन तक भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे. यात्रा के दौरान सभी भक्तों को सभी कोरोना से जुड़े नियमों का पालन करना होगा, जिसमें मास्क से लेकर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना शामिल है.
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