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Pilot Baba: जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का असली नाम था Kapil Singh, संन्यास लेने से पहले भारतीय वायुसेना में थे विंग कमांडर 

Pilot Baba एक सच्चे योगी थे. वह समाज और देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद पायलट बाबा 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर रहे.

Pilot Baba (File Photo) Pilot Baba (File Photo)
हाइलाइट्स
  • जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन

  • अंतिम इच्छा अनुसार हरिद्वार में दी जाएगी समाधि 

जूना अखाड़े (Juna Akhada) के वरिष्ठ महामंडलेश्वर पायलट बाबा (Mahamandleshwar Pilot Baba) ने लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को 86 साल की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांल ली. जूना अखाड़े की परंपरा का पालन करते हुए उनको समाधि दी जाएगी. पायलट बाबा को हरिद्वार में समाधि दी जाएगी. अपने अलग अंदाज की वजह से चर्चा में रहे पायलट बाबा के निधन के बाद जूना अखाड़े से जुड़े सभी आश्रमों में तीन दिन का शोक भी होगा.

उत्तराखंड की पावन भूमि में दी जाएगी समाधि 
पायलट बाबा के निधन की सूचना मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई. जूना अखाड़े के सभी आश्रमों और पीठों पर श्रद्धांजलि के लिए शांति पाठ का आयोजन किया गया. जूना अखाड़े के संरक्षक श्री महंत हरी गिरी ने बताया कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी. जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए हरिद्वार पहुंचेंगे.

संन्यास लेने से पहले थे विंग कमांडर
पायलट बाबा को पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में ख्याति मिली तो उनके राजनीतिक रसूख की तस्वीरें भी कई बार सामने आईं. संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर कपिल सिंह थे. उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था.

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बताया जाता है कि एक बार जब वो फाइटर जेट उड़ा रहे थे तो उनके विमान में खराबी आ गई. उनका जेट कंट्रोल से बाहर हो गया था. उन्होंने जिंदा रहने की सारी उम्मीदें छोड़ दी थी. इस दौरान उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु हरि बाबा को याद किया. इस दौरान उनको हरि बाबा के मौजूद रहने का अहसास हुआ और फाइटर जेट की सुरक्षित लैंडिंग हुई. इसके बाद कपिल सिंह ने आध्यात्मिक जीवन जीने का फैसला किया.

...तो इसलिए कहा जाने लगा पायलट बाबा
कपिल सिंह पायलट थे इसलिए संन्यास के बाद उनको पायलट बाबा कहा जाने लगा. इसी नाम से उनको प्रसिद्धि मिली. 1974 में पायलट बाबा ने विधिवत संन्यास लिया था. जूना अखाड़ा से मिली जानकारी के अनुसार विंग कमांडर पायलट बाबा 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए थे और अपनी संन्यास यात्रा प्रारंभ की थी. 

तीन दिन के शोक की घोषणा
जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरी ने बताया कि पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर जूना अखाड़े ने तीन दिन के शोक की घोषणा की है. इसमें देश-विदेश के सभी आश्रमों में विशेष पूजा और शांति पाठ किया जाएगा. महंत हरी गिरी ने कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे. वह समाज और देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे.

पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति व विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे. 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद  पायलट बाबा 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में पीठाधीश्वर रहे. पायलट बाबा का जन्म 15 जुलाई 1938 को बिहार के सासाराम में हुआ था.