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Mokshada Ekadashi 2021: मोक्षदा एकादशी का व्रत आपको दरिद्रता और कलह से रखेगा दूर, क्या है इसके पीछे की कहानी, जानिए

Mokshada Ekadashi 2021: हिंदू भक्त या भगवान विष्णु को मानने वाले इस साल 14 दिसंबर, 2021 को वैकुंठ एकादशी या मोक्षदा एकादशी मनाएंगे. ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं, उन्हें पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है.

Mokshada Ekadashi 2021 Mokshada Ekadashi 2021
हाइलाइट्स
  • परेशानियां होती हैं दूर

  • वैखानस नाम के राजा ने पिता की मुक्ति के लिए रखा था व्रत

Mokshada Ekadashi 2021 Date: हिंदू भक्त या भगवान विष्णु को मानने वाले इस साल 14 दिसंबर, 2021 को वैकुंठ एकादशी या मोक्षदा एकादशी मनाएंगे. एकादशी के दिन हिंदू समुदाय के कई लोग व्रत रखते हैं. नाम से ही पता चलता है कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए या पुनर्जन्म के चक्र को समाप्त कर बैकुंठ धाम (भगवान विष्णु का स्थान) पहुंचने के लिए भक्त इस दिन उपवास रखते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं, उन्हें पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है.

क्या है मुहूर्त?
13 दिसंबर को रात 9 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 14 दिसंबर 11: 35 पर यह खत्म होगी. हिन्दू कलैण्डर के अनुसार मोक्ष एकादशी सूर्य के उदय की तिथि मानी जाती है. ऐसे में इस तिथि के तहत यानी मंगलवार की सुबह 14 दिसंबर को सूर्य उदय होगा.

मोक्षदा एकादशी को हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग मोक्षदा एकादशी व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वो मृत्यु के बाद मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करने के लिए अपने पापों से छुटकारा पाते हैं. इस दिन भक्त सूर्योदय से लेकर अगले दिन भोर तक पूर्ण उपवास रखते हैं.

परेशानियां होती हैं दूर
मोक्षदा एकादशी का व्रत (mokshada ekadashi vrat) रोग, दरिद्रता, तनाव और कलह को दूर करता है. मोक्षदा एकादशी व्रत को विधि पूर्वक करने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. वहीं मोक्षदायिनी एकादशी पुण्य फल देने वाली होती है. इस व्रत को श्रद्धाभाव से पूर्ण करने से मोक्ष प्राप्त करता है.

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
ऐसा माना जाता है कि चंपकनगर शहर का एक राजा था, जिसका नाम वैखानस था. उसके राज्य के सभी लोग विष्णु भगवान में विश्वास करते थे. एक दिन राजा वैखानस को सपना आया कि उनके पिता को नरक में यातना दी जा रही है. उन्होंने अपने सपनों के बारे में अपने मंत्रियों से चर्चा की और उनसे अपने पिता के लिए मुक्ति पाने का उपाय सुझाने को कहा. मंत्रियों ने राजा से इस समस्या को हल करने के लिए पर्वत मुनि के पास जाने के लिए कहा और उनसे इस संबंध में ज्ञान का मार्ग दिखाने का अनुरोध किया. मंत्रियों की बात सुनकर राजा वैखानस पर्वत मुनि के पास जाते हैं और उन्हें अपना सपना सुनाते हैं. इस पर पर्वत मुनि उन्हें बताते हैं कि उनके पिता ने एक अपराध किया था, जिसकी वजह से उन्हें यह सजा भोगनी पड़ रही है. 

मुनि ने कहा कि तुम्हारे पिता ने तुम्हारी माता से लड़ाई की और उसके मना करने के बावजूद मासिक धर्म के दौरान उससे शारीरिक संबंध बनाए इसलिए उन्हें यह सजा मिली. यह सुनकर राजा वैखानस ने पर्वत मुनि से प्रार्थना की और उनसे एक रास्ता सुझाने का अनुरोध किया ताकि उनके पिता को मोक्ष मिल सके. पर्वत मुनि ने राजा वैखानस से कहा कि यदि वह मोक्षदा एकादशी का व्रत करे और भगवान विष्णु की पूजा करे तो उसके पिता को इस नरक से मुक्ति मिल सकती है. मुनि की बात सुनकर राजा ने इस व्रत को करने का विचार बनाया. इस व्रत को करने और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से उनके पिता को नरक से मुक्ति मिली और भगवान विष्णु के निवास का मार्ग खुल गया.