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Guru Tegh Bahadur: कौन थे गुरु तेग बहादुर सिंह, उनके अमूल्य विचार देंगे आपको जीने की सही राह

सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह ने महज 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी. उनकी वीरता देख पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग बहादुर रख दिया था. बचपन से ही वह संत स्वरूप गहन विचारवान और निर्भीक स्वभाव के थे.

गुरु तेग बहादुर सिंह गुरु तेग बहादुर सिंह
हाइलाइट्स
  • सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था

  • औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को धर्म परिवर्तन करने का काफी दबाव बनाया था

सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म 18 अप्रैल 1621 में पंजाब के अमृतसर में हुआ था. वह हरगोबिंद साहब के सबसे छोटे पुत्र थे. इन्होंने धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. गुरु तेग बहादुर को एक बहादुर योद्धा के रूप में याद किया जाता है. पंजाब के बकाला में गुरु तेग बहादुर ने लगभग 26 साल, 9 महीने, 13 दिनों तक ध्यान किया था. वह अपनाअधिकांश समय ध्यान में व्यतीत करता थे. उनकी रचनाओं में 116 शबद, 782 रचनाएं और 15 राग शामिल हैं. 

ऐसे पड़ा तेग बहादुर नाम
पिता गुरु हरगोबिंद ने गुरु तेग बहादुर सिंह का नाम त्यागमल रखा था. मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए. तेग बहादुर का मतलब होता है तलवार का धनी. तेग बहादुर को भाई बुद्ध ने तीरंदाजी और घुड़सवारी में प्रशिक्षित किया था. 

अपना जीवन धर्म की रक्षा के लिए न्योछावर कर दिया
गुरु तेग बहादुर सिंह मुगलों द्वारा हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाए जाने के सख्त खिलाफ रहे. उन्होंने खुद भी इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था. गुरु तेग बहादुर और औरंगजेब के बीच संघर्ष का किस्सा आज भी लोगों के जुबा पर है. कहा जाता है कि औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को धर्म परिवर्तन करने का काफी दबाव बनाया था. इसके लिए उन्हें कई तरह की यातनाएं भी दी थी. लेकिन वह उसके सामने नहीं झुके और अपना जीवन धर्म की रक्षा के लिए न्योछावर कर दिया. माना जाता है कि उनकी शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहली शहादत थी, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ 'हिंद की चादर' कहा जाता है. गुरु तेग बहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर एक गुरुद्वारा साहिब बना है. जिसे गुरुद्वारा शीश गंज के नाम से जाना जाता है. 

गुरु तेग बहादुर जी के अनमोल विचार
1. गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो.
2. एक सज्जन व्यक्ति वह है, जो अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाए.
3. आध्यात्मिक मार्ग पर दो सबसे कठिन परीक्षण हैं, सही समय की प्रतीक्षा करने का धैर्य और जो सामने आए उससे निराश ना होने का साहस.
4. सफलता कभी अंतिम नहीं होती, विफलता कभी घातक नहीं होती, इनमें जो मायने रखता है वो है साहस.
5.  जो अपने अहंकार को जीतता है और सभी चीजों के एकमात्र द्वार के रूप में भगवान को देखता है. उस व्यक्ति ने 'जीवन मुक्ति' को प्राप्त किया है, इसे असली सत्य के रूप में जानते हैं.