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Mahakumbh 2025: महाकुंभ का वो आश्रम जहां विदेशी हैं सारे महामंडलेश्वर, कोई जापान तो कोई अमेरिका से आया भारत... जानिए क्यों खास है Sai Maa Ashram

यह आश्रम साईं मां का है जो विदेशियों को सनातन की शिक्षा देती हैं. अंग्रेजी में उनकी दक्षता के कारण यह उनके लिए आसान भी है. इस आश्रम में नौ महामंडलेश्वर हैं और हैरानी की बात है कि सभी विदेशी हैं.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस वक्त महाकुंभ जारी है. भव्य महाकुंभ में देश भर के अखाड़े हिस्सा ले रहे हैं. कभी न दिखने वाले नागा साधु भी कुंभ में नजर आ रहे हैं. इसी बीच, इस आयोजन में एक ऐसा आश्रम भी नजर आया है जिसमें सभी महामंडलेश्वर विदेशी हैं. 

चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कई को हिन्दी भाषा नहीं आती, लेकिन संस्कृत के श्लोक कंठस्थ हैं. इनमें से कोई दक्षिण अमेरिका से आया है तो कोई जापान से. लेकिन इस आश्रम का आध्यात्म इन्हें एक धागे में पिरो रहा है. आइए जानते हैं इस आश्रम के बारे में.

साईं मां का है यह आश्रम 
जिस आश्रम की हम बात कर रहे हैं वह साईं मां का आश्रम है. यह निर्मोही अनी अखाड़े से जुड़ा हुआ है. साईं मां की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 2007 में वैष्णव साधु समाज ने प्रयागराज में अर्ध कुंभ मेले में साईं मां को जगद्गुरु भक्तिमयी मीरा बाई की उपाधि से सम्मानित किया था.

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अत्यधिक पूजनीय श्री सतुवा बाबा महाराज द्वारा समर्थित साईं मां भारत के 2,700 वर्षों के विष्णुस्वामी वंश और कुंभ मेले के ज्ञात इतिहास में इस प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित होने वाली पहली महिला हैं. साई मां अपने आश्रम में देश-विदेश से श्रद्धालुओं को शिक्षा देती हैं. उन्होंने ही अपने आश्रम में नौ विदेशी महामंडलेश्वर नियुक्त किए हैं. 

कौन हैं महामंडलेश्वर?
साईं मां ने 2019 में नौ विदेशी शिष्यों को अपने आश्रम का महामंडलेश्वर बनाया था. उनका मानना है कि एक बार विदेशी शिष्य इस आश्रम के माहौल में आते हैं तो वे अपने जीवन का अर्थ समझते हैं और बुरी चीजों से दूरी अपना लेते हैं. 

भास्कर की एक रिपोर्ट आश्रम के महामंडलेश्वरों के बारे में बताती है. अनंत दास, श्री देवी मां, परमेश्वर दास, त्रिवेणी दास महाराज और ललिता श्री मां अमेरिका से आए हुए महामंडलेश्वर हैं. फ्रांस से आए हुए जयेंद्र दास महाराज और जीवन दास महाराज, इजराइल के दयानंद दास और जापान की राजेश्वरी मां भी आश्रम की महामंडलेश्वर हैं.

सिर्फ अनंत दास ही बोल पाते हैं हिन्दी
अमेरिका में जन्मे अनंत दास एकमात्र महामंडलेश्वर हैं जो हिन्दी बोलना जानते हैं. उनका जन्म भले ही अमेरिका के फ्लोरिडा में हुआ लेकिन अब वह वाराणसी के शक्तिधाम आश्रम में रहते हैं. 

भास्कर की रिपोर्ट अनंत के हवाले से बताती है कि जब 2010 में वह यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में पढ़ाई कर रहे थे तब वह जीवन को लेकर भटके हुए थे. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि जीवन में क्या करना है. जीवन की उदासी के कारण उन्हें एक गुरू की जरूरत महसूस हुई. तभी उनकी मुलाकात साईं मां से हुई. 

वह बताते हैं कि साईं मां ने उन्हें साधना, मंत्र और सत्संग सिखाया. अब उनका मानना है कि सनातन ही सत्य है, जिसकी वजह से उन्होंने यह जीवन अपनाया है. उन्होंने 2013 में प्रयागराज कुंभ में संन्यास लिया था. इसके बाद वह 2019 में महामंडलेश्वर बने.  और अब बनारस ही उनका आखिरी ठिकाना है.