हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. भक्त माता रानी की कृपा पाने के लिए पूजा में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं. नवरात्र साल में दो बार पड़ता है. एक बार अप्रैल में जिसे चात्र माह कहते हैं और एक बार पितृपक्ष खत्म होने के तुरंत बाद जोकि ज्यादातर सितंबर या अक्टूबर का महीना होता है. इसे शारदीय नवरात्र कहते हैं. इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है. इसका समापन 5 अक्टूबर को है.
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. हिंदू पंचाग के मुताबिक शारदीय नवरात्र हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती हैं और दशमी को समाप्त होती है. विधि-विधान से पूजा करने के साथ नवरात्र में कुछ ऐसे भी नियम हैं जिनसे बचना चाहिए, कहा जाता है कि अगर इन बातों का ध्यान ना रखा जाए तो माता नाराज हो जाती हैं और पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है.
लहसुन प्याज का सेवन ना करें
नवरात्रि के पावन दिनों में प्याज-लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. लहसुन-प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है. कहा जाता है जैसा भोजन खाओ वैसे विचार आते हैं. इसलिए लहसुन प्याज का सेवन करने से बचना चाहिए. इससे मां की पूजा में बाधा आती है.
कन्याओं का दिल न दुखाएं
इन दिनों में किसी भी कन्या को ऐसी कोई भी बात नहीं बोलनी चाहिए जिससे उनका दिल दुखे. नवरात्रि में आपको इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि नौ दिनों तक किसी भी कन्या का दिल न दुखे.
घर अकेला न छोड़ें
ये सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात होती है. जो भी व्यक्ति अपने घर में कलश स्थापना करते हैं उन्हें इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वह अपने घर को खाली न छोड़ें. कलश स्थापना वाली जगह पर एक व्यक्ति का सोना जरूरी होता और अखंड ज्योत हमेशा जलती रहनी चाहिए.
कलाह से दूर रहें
नवरात्रि के समय परिवारवालों को आपस में मिलजुलकर हंसी-खुशी रहना चाहिए. कलह या विवाद से घर का माहौल बिगड़ता है और मान्यता है कि लड़ाई-झगड़े वाले घर में मां लक्ष्मी वास नहीं करती हैं.
धार्मिक बातों में मन लगाएं
व्रत रखने वालों को फालतू की बातों में मन नहीं लगाना चाहिए ना ही पंचायत करनी चाहिए. इस दौरान धार्मिक ग्रंथों का अध्यन करना चाहिए. इन दिनों दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तसती का पाठ कर सकते हैं.