

'काल भैरव' के नाम से पहचाने जाने वाले भैरव बाबा हिंदू धर्म में भगवान शिव के एक अद्वितीय और शक्तिशाली रूप हैं. वे न्याय, शक्ति और भयमुक्ति के देवता माने जाते हैं. भैरव बाबा को समय और मृत्यु का स्वामी भी माना जाता है. पुरानी कथाओं के मुताबिक भैरव बाबा का जन्म भगवान शिव की तांडव शक्ति से हुआ था.
हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को भैरव जयंती मनाई जाती है. साल 2025 में इस पर्व को पांच जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन दिल्ली के सभी भैरव मंदिरों में खास पूजा-अर्चना होती है. लेकिन दिल्ली के चाणक्यपुरी में मौजूद भैरवनाथ के प्राचीन मंदिर में इस दिन होने वाली पूजा खास होती है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं भीम ने की थी. इसी वजह से यहां पूजा करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते है.
दिल्ली में कैसे हुई भैरव मंदिर की स्थापना?
मान्यत है कि वाराणसी के बटुक भैरव से जुड़े दिल्ली के इस मंदिर की स्थापना पांच पांडवों में से एक भीमसेन ने की थी. स्कंद पुराण की कथाओं के मुताबिक, महाभारत के युद्ध के दौरान भीमसेन काशी से भैरव बाबा को लेकर हस्तिनापुर के लिए चले थे. भीम बाबा को यह वचन देकर चले थे कि वह उन्हें रास्ते में कंधे से नहीं उतारेंगे. लेकिन दिल्ली आते-आते भीम को बहुत तेज प्यास लग गई और उन्होंने बाबा को अपने कंधे से उतार दिया.
भीम ने अपनी प्यास बुझा तो ली लेकिन बाबा को दिया हुआ उनका वचन टूट गया. भीम ने जब दोबारा बाबा को उठाने का प्रयास किया तो वह ऐसा नहीं कर सके. तब बाबा भैरव ने अपनी शक्ति का परिचय देते हुए कुएं की मुंडेर पर विराजने का निश्चय किया. भीमसेन के प्रार्थना करने पर भी बाबा ने अपनी स्थिति को नहीं बदला. तभी से वह यहीं स्थायी रूप से विराजमान हो गए.
मंदिर की क्या है मान्यता?
भैरव बाबा न्याय, शक्ति और भयमुक्ति के देवता माने जाते हैं. भैरव बाबा का स्वरूप भक्तों के लिए रौद्र और दयालु दोनों है. भैरव जयंती के दिन भक्त बड़ी संख्या में मंदिरों में आकर पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन बाबा भैरव की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह पर्व दिल्ली में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
दिल्ली में कहां है मंदिर, कौन करता है देखरेख
प्राचीन बटुक भैरव मंदिर दिल्ली के चाणक्यपुरी के नेहरू पार्क में मौजूद है. मान्यताओं के मुताबिक यह मंदिर हजारों साल पुराना है. लेकिन इसकी बनावट बहुत पुरानी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि समय-समय पर मंदिर के रिनोवेशन का काम होता रहा है. इस मंदिर की देखरेख पुरोहित राजेंद्र कुमार शर्मा जी करते हैं.
मंदिर में बाबा भैरव नाथ की मुर्ती है जिसमें विशाल आंखें नजर आती हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां बाबा भैरव नाथ को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है. यहां भैरव जयंती के दिन भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का भी इंतजाम किया जाता है ताकि बाबा का कोई भक्त भूखा न रहे.